
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार, भारतीय खुफिया एजेंसियों के हाल ही में प्राप्त किए गए तथ्यों से पता चला है कि डी कंपनी का नेटवर्क जेल में बंद गुर्गों या फिर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए गुर्गों के परिवारों की देखभाल कर रहा है। फिरौती के मुख्य काम के अलावा डी कंपनी पारिवारिक विवादों के समाधान और छोटे मोटे मामलों का भी निपटारा करने में लगी है।
इस साल के प्रारंभ में फोन पर एक बातचीत को पकड़ा गया था, जिसमें दाऊद की एक सहयोगी महिला मुंबई में एक संपर्क के बारे में पूछ रही थी, ताकि उसके गैंग के एक गुर्गे की बेटी को समय पर रुपए पहुंचाए जा सके क्योंकि उसका पिता जेल में बंद था।
अप्रैल में एक अन्य बातचीत में पता चला कि एक बुजुर्ग महिला छोटा शकील से कह रही थी कि उसको इस बार महीने का पैसा नहीं मिला है। इस पर उसने मुंबई में अपने एक सहयोगी से मिलने को कहा।
अप्रैल में ही शकील को अपने एक सहयोगी से कहते हुए सुना गया कि वह कल्याण जेल में बंद एक गुर्गे के परिवार को 10 हजार रुपए महीने पेंशन भेजना शुरु कर दे।
शकील खुद पारिवारिक मामलों और विवदों के निपटारे में सक्रिय रूप से शामिल है। एक बार उसे दूर के एक संबंधी का कॉल आया था कि उसकी बेटी को उसके ससुराल में प्रताडि़त किया जा रहा है। तब उसने लड़की के पति का फोन नंबर देने को कहा था। उसके बाद उसने अपने संबंधी को आश्वस्त किया था कि उसके मामले का निपटारा हो जाएगा।