
इस रैली में देश भर से आए हुये ईपीएफ सदस्यताधारी कर्मचारी अधिकारी एवं पेंशन भोगी लाखों कर्मचारियों ने भाग लिया। पेंशनवृदि आंदोलन को आज वन रेंक वन पेंशन के अगुआई कर रहे नेता सबरजीत सिंह ने भी मंच पर आकर ईपीएफ वृदि आंदोलन का समर्थन किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के दो सांसद भी मंच पर पहुंचे।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि देश के उघोंगों कल कारखानों, कम्पनियों फैक्टरियों संस्थाओं निगम मण्डलों परियोजनाओं मीडिया समूह में कार्य करने वाले स्थाई तथा अस्थाई 11 करोड़ लोगों का ईपीएफ कटोत्रा किया जाता है। ऐसे कर्मचारियों को 58 वर्ष की आयु के पश्चात ईपीएफ की पेंशन प्रदान की जाती है जो कि न्यूनतम पेंशन तीन सौं रूपये और अधिकतम् ढाई हजार रूपये हैं। जबकि सरकार वर्तमान में कर्मचारियों से 1241 रूपये प्रतिमाह कर्मचारियों से पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन में से कटोत्रा करती है। इस प्रकार कर्मचारियों के सेवाकाल में केद्र सरकार पन्द्रह लाख से बीस लाख रूपये अपने पास जमा कर लेती है। जब पेंशन देने की बात आती है तो मात्र ढाई हजार रूपये पेंशन देती है। यदि यही पैसा बैंकों में रखा जाए तो पन्द्रह हजार रूपये तो केवल ब्याज ही प्रतिमाह कर्मचारी को प्राप्त हों।
भारत सरकार के श्रम विभाग के अंतर्गत ईपीएफ कार्यालय के पास वर्तमान में दो लाख हजार करोड़ राशि बैंकों में जमा है जिसका ब्याज सत्ताईस हजार करोड़ केन्द्र सरकार को प्राप्त होता है, केन्द्र सरकार में ईपीएफ के पेंशनर 58 लाख लोग हैं जिनकों वह पांच हजार करोड़ रूपये पेंशन बाटती है अर्थात केन्द्र सरकार ईपीएफ की जमा राशि पर प्राप्त होने वाले ब्याज की राशि के एक तिहाई राशि से पेंशन बाट रही है जबकि केन्द्र सरकार के पास खरबों रूपया जमा है।
प्रदर्शन कारी ईपीएफ सदस्य धारी कर्मचारियो की मांग है कि ढाई हजार रूपये की पेंशन से वर्तमान में कुछ नहीं होता इसको न्यूनतम पच्चीस हजार रूपये की जाए तथा अधिकतम् पचास हजार रूपये की जाए। ईपीएफ पेंशन अधिनियम 1995 में प्रावधान था कि इस पेंशन का प्रतिवर्ष पुनरीक्षिण किया जायेगा लेकिन बीस साल बीतने के बाद भी 1995 में निर्धारित की गई पेंशन ही केंन्द सरकार प्रदान कर रही है जबकि बीस साल में मंहगाई कई गुना बढ़ चुकी है। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि आने वाले दिनों में ईपीएफ पेंशन बढ़ौतरी का आंदोलन और तेज किया जायेगा।