
उमर ने ट्रेनिंग से लेकर अल-कायदा के इंडियन सब-कॉन्टिनेंट चीफ बनने तक के सफ़र का खुलासा किया है. हालांकि उसके परिवार वालों ने उसे कब का त्याग दिया है. इंग्लिश डेली टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक हक का परिवार इस बात को सुनकर आश्चर्यचकित नहीं है, हक की 70 वर्षीय मां ने कहा कि, ‘हमारे लिए वह छ साल पहले ही मर चूका था जब सुरक्षा एजेंसी ने बताया कि उनका बेटा मारा नहीं बल्कि एक आतंकी संगठन के लिए काम कर रहा है.’
परिवार के मुताबिल सनाउल हमेशा किताबों का शौक़ीन रहा लेकिन एक दिन अचानक उसने कहा कि वह कुरान और अरबिक पढ़ना चाहता है उसने कहा कि अगर वह हाफिज बनेगा तो उसे स्वर्ग मिलेगा. उसके इस बात से घरवालों ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं समझा.
1995 में अचानक उसें परिवार से एक लाख रूपए मक्का जाकर पढ़ाई करने के लिए मांगे, परिवार वालों ने मना कर दिया. इतना ही नहीं उसके चाचा ने उसे बहुत मारा भी. फिर अचानक वह गायब हो गया, परिवार ने उसके गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखाई. लेकिन उसका कोई अता-पता नहीं चला. फिर परिवार वालों ने उसे मारा हुआ मान लिया.
यह चौंकाने वाली बात है कि ऐसे परिवार में जन्मा लड़का जिसके दादा-परदादाओं ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी वह आखिर देश का दुश्मन कैसे बन गया.