जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा को सख्त चेतावनी दी है कि वे भविष्य में ऐसी गलती न करें। यदि ऐसा किया तो उनके खिलाफ अवमानना याचिका पुनर्जीवित होकर सुनवाई के लिए लग जाएगी। मामला मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना याचिका दायर किए जाने के रवैये को चुनौती से संबंधित था।
गुरुवार को प्रशासनिक न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस केके त्रिवेदी की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अवमानना याचिककार्ता राजधानी भोपाल निवासी अधिवक्ता शिरीष चन्द्र बंगाली की ओर से अधिवक्ता विवेक रंजन पाण्डेय ने पक्ष रखा।
सीजे के खिलाफ अवमानना याचिका खुद अवमानना-
उन्होंने दलील दी कि राज्य के न्यायिक तंत्र के मुखिया के खिलाफ उनके न्यायालयीन-व्यवहार पर आक्षेप के साथ अवमानना याचिका दायर करना स्वयं एक तरह की अवमानना है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट अधिनियम में कहीं भी उच्च या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के न्यायालयीन-व्यवहार को लेकर अवमानना कार्रवाई को कोई प्रावधान नहीं है। हाईकोर्ट ने इसी बिन्दु को ध्यान में रखकर सकलेचा की अवमानना याचिका प्रचलन योग्य न पाते हुए खारिज कर दी। उस आदेश से यह अवमानना याचिकाकर्ता पूरी तरह सहमत है। इसके साथ ही वह इस निवेदन के साथ अपनी अवमानना याचिका वापस किए जाने का निवेदन करता है कि कम से कम सीजे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की गलती करने वाले सकलेचा को चेतावनी तो दी ही जाए और यदि वे भविष्य में ऐसी गलती दोहराएं तो दोबारा इस अवमानना याचिका के लिस्टेड होने की भी व्यवस्था दें।
