भोपाल। आंकड़े बताते हैं कि 2015 में जनवरी से जून तक 646 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। ज्यादातर किसानों पर भारी भरकम कर्ज था और उनकी फसलें बर्बाद हो गई थी लेकिन सरकार यह मानने को तैयार नहीं। विधानसभा में आये एक जवाब में सरकार ने सिर्फ एक किसान की सदमें में मौत स्वीकार की है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत के सवाल के जवाब में गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने लिखित में कहा कि, मप्र में पिछले चार माह में सिर्फ एक किसान की फसल बर्बाद होने के बाद हार्ट अटैक से मौत हुई है। जबकि 193 किसान और 149 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की। गौर ने बताया कि, एक जुलाई से 30 अक्टूबर 2015 तक कुल 2948 व्यक्तियों ने आत्महत्या की। इसमें 342 किसान और कृषि मजदूर थे। वहीं एक जनवरी से 30 जून तक 3 हजार 646 आत्महत्या हुई थी। इसमें किसान 245 और कृषि मजदूर 250 थे।