पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी, डॉक्टर ने इलाज नहीं किया: मर गई रेप पीड़िता

इलाहाबाद। इलाहाबाद में पुलिस के हिटलरशाही रवैये और गांव की पंचायत के बेतुके फरमान ने रेप का शिकार होने के बाद गर्भवती हुई चौदह साल की नाबालिग लड़की की जान ले ली। इलाके की पुलिस ने अपने पड़ोसी की दरिंदगी का शिकार हुई इस लड़की को इंसाफ दिलाने के बजाय डांट-फटकारकर थाने से भगा दिया था, जबकि गांव की पंचायत ने लड़की की आबरू के बदले आरोपी पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाकर उसे क्लीन चिट दे दी थी। घटना इलाहाबाद शहर से करीब साठ किलोमीटर दूर सरांय ममरेज इलाके की है।

रेप की वजह से गर्भवती हुई लड़की गरीबी के चलते इलाज ना हो पाने की वजह से डिलेवरी के दौरान गुरुवार को मौत का शिकार हो गई। आरोप है कि महज दो हफ्ते पहले सुर्खियों में रहने वाले इस सनसनीखेज मामले में पैसों की कमी की वजह से डॉक्टरों ने भी इस लड़की का इलाज नहीं किया और उसे अस्पताल से वापस घर भेज दिया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।'

गांव के ही युवक ने बनाया था हवस का शिकार
दरअसल इलाहाबाद के सरांय ममरेज इलाके की रहने वाली बिन बाप की 14 साल की लड़की को मार्च महीने में गांव के ही एक युवक ने अपनी हवस का शिकार बनाया था। पीड़ित लड़की और उसकी मां आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचे तो वहां उन्हें डांट फटकारकर भगा दिया गया।

पंचों ने आबरू की कीमत लगाई सिर्फ पांच हजार
इसके बाद हुई गांव की पंचायत में जज बने पंचों ने पीड़ित लड़की की आबरू की कीमत सिर्फ पांच हजार रुपए लगाई और आरोपी पर यह जुर्माना लगाकर पीड़ित परिवार के पुलिस के पास जाने पर पाबंदी लगा दी। लड़की जब गर्भवती हुई तो पीड़ितों ने एक बार फिर थाने में इंसाफ की गुहार लगाई, लेकिन दोबारा भी झिड़क और दुत्कार के सिवा उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ।

पीड़िता ने इंसाफ की ज़िद की तो पंचों ने थाने पर पंचायत के फरमान की कापी देकर कोई भी कार्रवाई होने से रुकवा दिया। हैरत की बात यह है कि दोनों बार के जुर्माने के पैसे पीड़ित परिवार को देने के बजाय पंच और पुलिस मिलकर आपस में पचा गए।

नौ महीने बाद रेप का मुकदमा दर्ज
पंद्रह दिन पहले यह मामला मीडिया में आया तो इलाहाबाद से लेकर लखनऊ तक के बड़े अफसरों के दखल पर पुलिस ने नौ महीने बाद रेप का मुकदमा दर्ज कर आरोपी को जेल भेजा।
आरोपी अभी भी जेल में ही है, लेकिन अफसरों ने ना तो रिपोर्ट दर्ज करने के बजाए थाने से भगाने वाले खाकी वर्दी वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई की और न ही बेतुका फरमान सुनाने वाले रसूखदार पंचों के खिलाफ। कहा जा सकता है कि अगर मार्च महीने में ही पीड़ित लड़की की रिपोर्ट दर्ज कर उसका मेडिकल कराया जाता तो शायद आज उसकी जान ना जाती और विधवा मां के जीने का इकलौता सहारा न छूटता।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!