नई दिल्ली। लंबे वक्त से अटके रियल एस्टेट बिल को कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी। बिल की सबसे अहम बात ये है कि ग्राहक को सुपर बिल्टअप एरिया और कॉमन एरिया के भ्रम से मुक्ति मिलेगी। घर की कीमत कॉरपेट एरिया के आधार पर तय होगी।
अभी बिल्डर, सुपर बिल्टअप एरिया और कॉरपेट एरिया के नाम पर मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। इस बिल के मुताबिक अब डेवलपर के लिए जरूरी होगा कि वो जिस प्रोजेक्ट के लिए लोगों के एडवांस पैसा लेगा उसका 70 फीसदी हिस्सा उसी प्रोजेक्ट के लिए खोले गए अकाउंट में डालेगा।
नए कानून के मुताबिक केंद्र में एक रेग्युलेटर होगा जो हर राज्य में मौजूद रेग्युलेटर के साथ काम करेगा। रेग्युलेटर को बिल्डर के खिलाफ जुर्माना लगाने का भी प्रावधान होगा। प्रोजेक्ट का स्ट्रक्चर बदलने के लिए बिल्डर को 66 फीसदी खरीदारों की इजाजत लेनी होगी। बिल्डर की तरफ से वक्त पर प्रोजक्शन नहीं देने पर खरीदार के पास ये हक होगा कि वो अपनी रकम ब्याज समेत वापस ले ले।
बिल्डर के नियम तोड़ने पर प्रोजेक्ट का पंजीकरण रद्द और प्रोजेक्ट की लागत का 10 फीसदी जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। प्रॉपर्टी एजेंटों को भी इस बिल के तहत पंजीकरण कराना होगा। बिना रजिस्ट्रेशन कराए ब्रोकर प्रॉपर्टी खरीद या बेच नहीं सकते। नए बिल के नियमों का उल्लंघन करने पर बिल्डर को तीन साल तक की जेल का भी प्रावधान है।