मप्र की बेलगाम अफसरशाही के खिलाफ एकजुट जनप्रतिनिधि

Bhopal Samachar
भोपाल। प्रदेश में अफसरों को बेलगाम ठहराते हुए बीजेपी-कांग्रेस विधायक उनके खिलाफ विधानसभा में एकजुट हो गए। शीतकालीन सत्र के पांचवे दिन शुक्रवार को सदन में इन विधायकों ने एक सुर में कहा कि हमारे सम्मान का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। अफसर हमारी सुनते नहीं है और अब तो उन्होंने फोन तक उठाना बंद कर दिया है। हालात यह है कि हमें बैठकों में बुलाकर खुद नदारद रहते हैं। इतना ही नहीं सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी स्थानीय विधायक को तवज्जो नहीं दी जाती है। अधिकारी हमारे पत्रों का जवाब तक नहीं देते हैं।

विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से संरक्षण मांगते हुए ऐसे अफसरों के खिलाफ विशेषाधिकार के मामले में सदन में बुलाकर भर्त्सना कर प्रताड़ित किया जाए, जिससे अन्य अफसर विधायकों के प्रति संवेदनशील बने।

पहला मामला
भोपाल नगर निगम कमिश्नर तेजस्वी नायक के रवैए से नाराज कांग्रेस विधायक आरिफ अकील ने शून्यकाल के दौरान मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कमिश्नर ने भोपाल के सभी विधायकों को स्मार्ट सिटी पर चर्चा करने बुलाया था, लेकिन नायक खुद नहीं आए। इस पर बीजेपी विधायक विश्वास सारंग, रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री ने खड़े होकर ननि कमिश्नर नायक के व्यवहार को आपत्तिजनक बताया। सभी ने एक साथ उनके खिलाफ विशेषाधिकार का मामला चलाने की मांग की।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने सभी विधायकों से कहा कि आप लोग नियमानुसार आवेदन दें। परीक्षण कर आयुक्त पर कार्रवाई की जाएगी।

  • किसने क्या कहा
  • आरिफ अकील - भोपाल में एक वार्ड को स्मार्ट बनाने के लिए नगर निगम कमिश्नर नायक ने गृह मंत्री बाबूलाल गौर सहित भोपाल के सभी विधायकों बैठक में बुलाया, लेकिन वह खुद गायब हो गए। इस तरह से विधायकों का अपमान करना ठीक नहीं है।
  • विश्वास सारंग - कमिश्नर का यह रवैया बेहद आपत्तिजनक है, वो किसी का फोन भी नहीं उठाते। इसके पहले विधानसभा उपाध्यक्ष के साथ भी ऐसी घटना घटित हो चुकी है। विधानसभा का नियम 232 कहता है कि शासकीय अधिकारी यदि विधायकों का सम्मान नहीं करता है तो विधायक ऐसे मामले सदस्य सुविधा समिति के सामने उठा सकते हैं। तीन माह पहले भी विधायक रामेश्वर शर्मा के फोन को एक अधिकारी ने रिकॉर्ड कर लिया था, जो आईटी अपराध है।
  • रामेश्वर शर्मा - आखिर निर्णय क्या हो रहा है, ऐसी स्थिति क्यों पैदा हो रही है। इनमें से कौन से विधायक ने उनसे कहा था कि हमें बुलाइए और जब बुलाया था तो फिर वह उपस्थित क्यों नहीं थे। अफसर निरंकुश हो गए हैं। मेरे क्षेत्र में पुलिस हाउसिंग बोर्ड द्वारा छात्रावास और अस्पताल का उद्घाटन हो जाता है और कार्ड में क्षेत्रीय विधायक को शामिल तक नहीं है।
  •  विष्णु खत्री - विधायकों के विशेष अधिकारों की रक्षा के लिए संरक्षण दिया जाए।
  •  मुकेश नायक - समय पर फोन न उठाना, बैठक में गैरहाजिर रहना गंभीर मामला है। विशेषाधिकार समिति का सदस्य हूं। ऐसे अधिकारियों को विधानसभा में बुलाकर प्रताड़ित करें।
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