भोपाल। सांवरिया ग्रुप पर जारी आयकर छानबीन में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। राजधानी के करीब मंडीदीप के प्लांट में 75 करोड़ रुपए के स्टॉक की गड़बड़ी मिली है, वहीं 50 से अधिक बोगस कंपनियों से करोड़ों के मनी लांड्रिंग के दस्तावेज हाथ लगे हैं। ये कंपनियां नौकरों के नाम पर थीं। इन्हीं कंपनियों के जरिये सिंगापुर से कालाधन लाकर ग्रुप ने अपने खातों में डाले। आयकर सूत्रों के मुताबिक लगभग 200 करोड़ की अघोषित संपत्ति उजागर हो सकती है। ये मामला जांच के लिए अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपा जाएगा। ग्रुप के संचालक अनिल अग्रवाल कार्रवाई शुरू होने के आठ घंटे बाद अफसरों के सामने पेश हुए।
आयकर विभाग ग्रुप के भोपाल मुख्यालय सहित इटारसी, हरदा, बैतूल, मंडीदीप और देवास में भी छानबीन कर रहा है। अग्रवाल की कुछ डायरियां भी मिली हैं, जिसमें हर छोटे-बड़े हिसाब व खर्च के दर्ज हैं। इनमें कई रसूखदार राजनेता और अफसरों के नाम महंगी गिफ्ट देने की जानकारी है। विभागीय अफसरों का कहना है कि भोपाल में सर्वे का यह सबसे बड़ा मामला है, छानबीन की कार्रवाई एक दिन-दो दिन और चल सकती है। अग्रवाल के पास महंगी गाड़ियों का काफिला है जिसमें ऑडी कार भी शामिल हैं।
चलेगा मनी लांड्रिंग का मामला
सिंगापुर से जो पैसा बुलाया गया उसे फर्जी कंपनियों में घुमाकर नंबर एक में बदलने को विभाग मनी लांड्रिंग का प्रकरण मानकर जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपा जाएगा। अग्रवाल और ग्रुप के मैनेजरों से पूछताछ का सिलसिला अभी चल रहा है। उनके बयान दर्ज किए गए हैं। विभागीय अफसरों का कहना है कि काफी अनियमितताएं सामने आ रही हैं। ग्रुप में संजय अग्रवाल को डायरेक्टर के रूप में दिखाया गया है लेकिन विभाग का मानना है कि बार-बार कहने के बावजूद उसे पेश नहीं किया गया। इसलिए विभाग उसे काल्पनिक मान रहा है।
फर्जी नामों से काम
लेनदेन का जो ब्योरा सामने आया है उससे पता चला है कि 30-40 लाख से छोटी रकम का जिक्र बहुत कम है। टेलीफिल्म बनाने में भी भारी भरकम राशि का निवेश दर्ज है। करोड़ों रुपए के लेनदेन की सूची मिली है। अनिल के स्टाफ में अनिल विश्वकर्मा एकाउंट का काम देखता है, अग्रवाल उससे ही काल्पनिक नामों के रिटर्न भरवाने और दस्तखत कराने का काम करता था।
यहां चल रही छानबीन
भोपाल मुख्यालय, इटारसी सोया प्लांट, इटारसी आटा प्लांट, सांवरिया फुड्स, बैतूल सोया प्लांट, हरदा सोया मिल और देवास की पवन ऊर्जा प्लांट के स्टाक और प्रोडक्शन की छानबीन चल रही है। किसानों को खरीद के बदले नकद में करोड़ों के भुगतान दिया गया। दूसरे के वेयर हाउस में भी सांवरिया का स्टॉक रखा। करोड़ों रुपए की ऐसी खरीद-फरोख्त भी की गई जिसका रिकार्ड नहीं मिला।
नेता-अफसरों को महंगी गिफ्ट...
दो दिन से चल रही छानबीन में विभाग को कुछ ऐसे दस्तावेज भी बरामद हुए हैं जिनमें नेता-अफसरों को रिश्वत एवं महंगी गिफ्ट देने का ब्यौरा दर्ज है। इस संबंध में अनिल अग्रवाल और उसके खास एकाउंटेंट विश्वकर्मा के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह महंगी गिफ्ट नेता-अफसरों को भेजी गईं।
ग्रुप ने श्रीश्री नारायण चेरिटेबल ट्रस्ट भी पंजीकृत करके रखा है, इसके लिए टैक्स में छूट भी ली जा रही है लेकिन आयकर को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि छूट का नाजायज फायदा लिया जा रहा था। विभाग ने एक टीम देवास भेजकर पवन ऊर्जा प्लांट का डिटेल मंगाया गया है।
