शिवराज के आशीर्वाद से नहीं बनेगा अगला प्रदेशाध्यक्ष

भोपाल। मध्यप्रदेश बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर लॉबिंग का दौर शुरू हो गया है। नए अध्यक्ष के चुनाव में इस बार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सहमति निर्णायक रहेगी। जिलों के चुनाव संंपन्न् होते ही दिल्ली से प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव का कार्यक्रम जारी हो जाएगा। सियासी हलकों में सवाल है कि नंद कुमार सिंह चौहान रिपीट होंगे या नहीं। पर्दे के पीछे प्रदेश के अनेक दिग्गज जोड़-तोड़ में लगे हैं। 

सूत्रों की मानें तो नंदकुमार के मौजूदा परफार्मेंस से संघ संतुष्ट नहीं है। इसलिए संघ की कसौटी पर खरा साबित हो ऐसे व्यक्ति को कमान सौंपी जा सकती है। रतलाम-झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की हार और देवास विधानसभा में जनाधार खिसकने से संघ एवं बीजेपी के दिग्गज चिंतित हो उठे हैं। पार्टी को अगले आम चुनाव की चिंता सताने लगी है। इसलिए नए अध्यक्ष के चयन में यह मुद्दा अहम रहेगा। पार्टी हाईकमान ने फिलहाल इस बारे में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। 

परफार्मेंस की समीक्षा
सवा साल पहले चौहान की ताजपोशी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुख्य भूमिका थी, लेकिन दूसरी बार मौका देने के लिए उनके परफार्मेंस की समीक्षा की बात उठ रही है। अभी तक के अध्यक्षों से भी उनके कामकाज की तुलना की जाएगी। पार्टी की कमान जिसे मिलेगी उस पर प्रदेश में वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव कराने की अहम जवाबदारी भी होगी। वैसे प्रदेश अध्यक्ष चौहान ने अपने तईं दिल्ली के नेताओं से भी मेलजोल बढ़ा दिया है। 

मोघे, भूपेंद्र-प्रहलाद भी...
इंदौर के महापौर एवं पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री रह चुके दिग्गज नेता कृष्ण मुरारी मोघे भी सक्रिय हैं। दमोह सांसद प्रहलाद पटेल, जबलपुर सांसद राकेश सिंह और प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में माना जा रहा है। मुख्यमंत्री चौहान एवं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का झुकाव परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह के नाम पर हो सकता है। कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपनी टीम में पहले ही अहम जवाबदारी सौंप चुके हैं। इसलिए उनकी मप्र वापसी पर संदेह जताया जा रहा है।
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