मिस्टर कलेक्टर, वो पर्सनल पिटीशन थी, जनहित याचिका नहीं

भोपाल. शिवपुरी में DPC निलंबन एक तमाशा बनकर रह गया है. हर रोज एक नया कारण सामने आ जाता है. आज तो हद ही हो गयी. कलेक्टर राजीव दुबे ने HC के आदेश की अजीब व्याख्या कर डाली. बोले '8 दिसंबर को इस मामले में DEO को स्टे मिल गया है और हाईकोर्ट ने राज्य शासन के इस आदेश के खिलाफ ही स्टे दिया है, जो पूरे आदेश पर लागू होता है अतः DPC का चार्ज ओर किसी और को देने का सवाल ही नही उठता।' कोई बताओ उन्हें वो पर्सनल पिटीशन थी, जनहित याचिका नहीं जो सब पर लागू हो जाये. यदि कलेक्टर इतना भी नहीं समझते तो अपना बयान रिकॉर्ड में जारी कर दें, HC खुद समझा देगा, उसका आदेश किस पर लागू है, किस पर नहीं. 

पढ़िए कब क्या हुआ: 
28 नवम्बर 2015: मप्र शासन के स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन शिवपुरी जिले के कोलारस तहसील ग्राम मकरारा में एक स्कूल भवन के लोकार्पण समारोह में आए. उनके स्वागत में तैदुंआ स्थित कस्तुरबा गांधी बालिका छात्रावास की छात्राओ को सडक किनारे घंटो भूखा खडा कर दिया और जिसके चलते एक दलित छात्रा सपना जाटव को बेहोश हो गई। 

1-दिसंबर-2015: मंत्री महोदय ने भोपाल आकर शिवपुरी के डीईओ परमजीत सिंह गिल, डीपीसी शिरोमणि गिल और छात्रावास की अधीक्षिका श्रीमति रेखा वर्मा को सस्पैंड कर दिया।  ग्वालियर में पदस्थ दीपक पाण्डेय को तत्काल प्रभाव से डीईओ और डीपीसी का जार्च लेने के आदेश राज्य शासन ने दिए। 

2-दिसंबर-2015: डीपीसी रातोरात भोपाल पहुंचे और अपना निलबंन रूकवाने के लिए प्रयास किया। सुना है पावर और पैसा दोनों का यूज हुआ. 

3-दिसंबर-2015: भोपाल से लौटकर खबर सुनाई गयी की निलंबन आदेश रद्द हो गया है. 

4-दिसंबर-2015: राज्य शासन के आदेश अनुसार ग्वालियर के संयुक्त संचालक दीपक पाण्डेय ने डीईओ का चार्ज लिया लेकिन डीपीसी ने आदेश को विसंगति पूर्वक बताते हुए चार्ज नही दिया और दीपक पाण्डेय को ऑफिस में घुसने नही दिया। 

4-दिसंबर-2015: डीईओ सरकार के इस निलबंन के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट ग्वालियर गए. 

6-दिसंबर-2015: डीपीसी ने यह अपवाह उड़ाई कि उनका निलबंन कैंसिल हो गया और शक्तिप्रर्दशन करते हुए अपने सरकारी बंगले पर अन्नकुट के रूप में अपने विभाग के कर्मचारियों और मीडिया को पार्टी दे डाली।

8-दिसंबर-2015: डीईओ परमजीत सिंह गिल की अपील की सुनवाई करते हुए माननीय न्यायाधीश आलोक राधे ने शासन के आदेश के खिलाफ गिल को स्टे दिया। 

9-दिसंबर-2015: डीपीसी शिरामणि दुबे ने शासन के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की और उनके केश क्रमांक 8250-15 को माननीय न्यायाधीश रोहित आर्य ने इस मामले को संज्ञान में लिया ओर इस मामले की अगली तारिख बढा दी।

10-दिसंबर-2015: डीपीसी शिरोमणि दुबे की अपील क्रंमाक 8250-15 को सुनते हुए माननीय न्यायाधीश आलोक राधे ने लताड़ लगाई और  घबराए डीपीसी ने अपील को वापस ले ली। 

11-दिसंबर-2015: शहर की मीडिया इस मामले में कलेक्टर शिवपुरी से मिलने गई. उन्होने कहा कि 8 दिसंबर को इस मामले में डीईओ को स्टे मिल गया है और हाईकोर्ट ने राज्य शासन के इस आदेश के खिलाफ ही स्टे दिया है, जो पूरे आदेश पर लागू होता है अतः डीपीसी का चार्ज ओर किसी को देने का सवाल ही नही उठता। 

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