बुरहानपुर। डॉक्टरों ने यहां एक ऐसे व्यक्ति को एड्स की दबायें दे डाली जिसे कोई बीमारी ही नहीं थी। जबकि उसी गांव में एक एड्स पीड़ित इलाज के अभाव में मर गया। सारी गफलत दोनों व्यक्तियों के एक जैसे नाम होने के कारण हुई। लेकिन इससे बड़ी लापरवाही यह रही कि इलाज के दौरान डॉक्टरों ने मरीज की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया।
साल 2009 में जिले के इच्छापुर में एचआईवी के टेस्ट के लिए कैंप लगाया गया था। इस दौरान एक 40 वर्षीय शख्स एचआईवी पॉजीटिव पाया गया। साल 2011 में इस मरीज की मौत हो गई लेकिन लिस्ट में से उसका नाम नहीं काटा गया। कुछ महीनों पहले जब इंदौर के एंटी रिट्रो वायरल थेरेपी सेंटर ने उन एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की सूची जारी की जो दवा नहीं ले रहे थे, तो उसमें मृतक का नाम भी शामिल था।
समान नाम और उम्र होने की वजह से लिस्ट मिलते ही बुरहानपुर एआरटी सेंटर ने दूसरे व्यक्ति को एचआईवी मरीजों की दवाइयां देकर उसका इलाज शुरू कर दिया, जो मामले के खुलासा होने तक चलता रहा।