ना बचत, ना कमाई का विश्वास, ​कर्ज लेकर होगा मप्र ​का विकास

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भोपाल। शिवराज सरकार कड़की में चल रही है अब यह किसी से छिपा नहीं है। बाबजूद इसके सरकार न तो खर्चों में कटौती करती दिखाई दे रही है और ना ही टैक्स के अलावा किसी दूसरे साधन से कमाई बढ़ाने की कोई योजना है। अलबत्ता बाजार से कर्ज की सीमा जरूर बढ़ा ली गई है। 

पहले मप्र सरकार अपनी कुल जीएसडीपी का 3 प्रतिशत लोन ले सकती थी, अब 3.5 प्रतिशत तक ले सकेगी। शिवराज की केबिनेट ने इस फैसले पर मोहर लगा दी है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 में राज्य सरकार की जीएसडीपी 6 लाख करोड़ है। वर्तमान प्रावधान के चलते सरकार 3 फीसदी राजकोषीय घाटे के हिसाब से इस वित्तीय वर्ष में 18 हजार करोड़ का कर्ज ले सकती है। इस संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद राज्य सरकार इस वित्तीय वर्ष में 21 हजार करोड़ तक का कर्ज ले सकेगी। 

इस वित्तीय वर्ष में सरकार अब तक 8500 करोड़ का कर्ज ले चुकी है, जबकि अभी वर्ष समाप्त होने में 4 माह और शेष हैं। अब तक मप्र कुल करीब 1.5 लाख करोड़ के कर्जे में है। और यह मप्र के लिये काफी चिंताजनक आंकड़ा है। 
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