महोदय मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूँ कि समग्र समेकित छात्रवृति का प्रारम्भ 2013-14 के सत्र से हुआ है. जिसमें ब्लाक स्तर पर बीआरसी और संकुल स्तर पर आहरण और संवितरण अधिकारीयों को विस्तृत कार्य सौंपे गए हैं।
लोक शिक्षण संचालनालय म.प्र. भोपाल के पत्र क्र. sssm/scholarship/2014/30 दिनांक 29/01/2014 में स्पष्ट निर्देश है कि कक्षा 01 से 12 तक के शासकीय एवं निजी विद्यालयों के समस्त छात्रों कि प्रोफाइल अपडेट की डाटा फीडिंग का कार्य बीआरसी द्वारा किया जाना है। इसके लिए प्रत्येक ब्लाक में बीआरसी को 10 डाटा इंट्री ऑपरेटर की सेवाएं कलेक्टर दर पर लेने का निर्देश भी दिया गया है। बीआरसी को इस कार्य हेतु प्रति छात्र के मान से बजट का बंटन किया गया है।
छात्रवृति मैपिंग और बच्चे के खाते में छात्रवृति पहुचाने का कार्य आहरण और संवितरण अधिकारी को सौपा गया है। जिसके लिए प्रति छात्र के मान से बीआरसी आहरण एवम् संवितरण अधिकारी (डी.डी.ओ.)को भुगतान करता है।
अब पैसे की बंदरबांट कैसे हो रही है ये देखिए
बीआरसी ने अपने पासवर्ड निजी कंप्यूटर सेंटरों को 10-15 हज़ार रुपये में दे रखे हैं। जिसका परिणाम यह है की छात्रों की प्रोफाइल अपडेशन का कार्य विद्यालयों द्वारा निजी कंप्यूटर सेंटरों पर 10 रुपये प्रति छात्र की दर से और छात्रवृत्ति मैपिंग का कार्य 15 रुपये प्रति छात्र की दर से कराया जा रहा है। छात्रवृति मैपिंग के लिए डी.डी.ओ. द्वारा किसी विशेष कंप्यूटर सेंटर पर जाने के लिए शिक्षकों को मजबूर किया जाता है। उस 15 रुपये का भी बंदरबांट होता है उसमें से 5 रुपये कंप्यूटर सेंटर को, 2 रुपये बी.आर.सी. को ,3 रुपये सी.ऐ.सी. को तथा शेष 5 रुपये डी.डी.ओ. को मिलते हैं। इसका खर्च विद्यालय की कैश बुक में सम्बंधित शाला प्रभारी द्वारा डाल दिया जाता है।
शासन ने जिस कार्य के लिए प्रथक से बजट का बंटन किया है उसी कार्य के लिए विद्यालय के मद से पैसे का आहरण किया जा रहा है। जिसका अर्थ हुआ शासन के पैसे की दोहरी लूट।
पिछले 3 वर्ष में विद्यालयों की कैश बुकों में प्रोफाइल अपडेट और छात्रवृत्ति मैपिंग की डाटा फीडिंग के करोड़ों के बिल लग चुके है और इस कार्य के लिए आया फण्ड भी बी.आर.सी. एवं डी.डी.ओ. द्वारा हज़म हो चुका है।
म.प्र. में 2 करोड़ के लगभग विद्यार्थी हैं जिनका डाटा फीडिंग का कार्य निजी कंप्यूटर सेंटरों से कराने पर 20000000×25=500000000 का खर्च बैठ सकता है। इसके अतिरिक्त शासन इस कार्य के लिए प्रति छात्र के मान से जो राशि जारी करती है वो अलग है। यह संभव नहीं है की वरिष्ठ अधिकारीयों को इस बात का ज्ञान नहीं हो। अब आप समझ सकते हैं की किस स्तर पर पैसे की लूट हो रही है।
धन्यवाद्
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