राकेश दुबे@ प्रतिदिन। दुनियाभर में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सब्सिडी स्थानांतरण के प्रयोग किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण कहीं ज्यादा आसान है। पूरे लैटिन अमेरिका में जन नीति में कल्याणकारी कार्यक्रमों को जोड़ा गया, जिसकी शुरुआत शिक्षा से की गई और बाद में इसमें खाद्य और ईंधन को भी जोड़ा गया। 2003 से 2009 के दौरान ब्राजील को गरीबी में 15 फीसदी कमी लाने में मदद मिली और उसने गरीबी में कमी का लक्ष्य पांच वर्ष में पूरा कर लिया।
भारत में ऊर्जा सब्सिडी के क्षेत्र में पिछले वर्ष तब बड़ा परिवर्तन नजर आया, जब सरकार ने केरोसीन की दोहरी मूल्य व्यवस्था लागू करते हुए बाजार की कीमत पर बिकने वाले केरोसीन पर से सरकारी नियंत्रण हटाया था। इसी तरह एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण यानी डीबीटी से अब तक 12.90 करोड़ नागरिकों को जोड़ा जा चुका है और अब यह नकद हस्तांतरण की दुनिया की सबसे बड़ी योजना बन गई है।इन प्रयासों की वजह से दो अरब डॉलर की बचत हुई है और 5.5 करोड़ फर्जी उपभोक्ताओं को खत्म करने में मदद मिली। इसके साथ ही कालाबाजारी पर भी अंकुश लगा। ये कदम उत्साहित करने वाले हैं, क्योंकि एलपीजी और केरोसीन पर दी जाने वाली सब्सिडी के कारण काला बाजारियों को जड़ें जमाने में मदद मिल रही थी। अमूमन केरोसीन का वितरण भ्रष्ट और अक्षम जन वितरण प्रणाली के जरिये किया जाता रहा है, जिस पर राज्य सरकारों को नियंत्रण होता है।
अनेक कमेटियों ने जन वितरण प्रणाली में सुधार के लिए कई सुझाव दिए हैं। रंगराजन कमेटी (2006) ने एलपीजी की खुदरा कीमत में बढ़ोतरी की वकालत की थी और उसका कहना था कि इस पर दी जाने वाली सब्सिडी सीधे बजट से दी जाए। पारिख कमेटी (2010) ने सिफारिश की थी कि पीडीएस से दिए जाने वाले केरोसीन की कीमत में प्रति व्यक्ति कृषि विकास दर में बढ़ोतरी के साथ वृद्धि की जाए।केलकर कमेटी (2012) ने तीन वर्ष में एलपीडी पर सब्सिडी पूरी तरह से समाप्त करने और केरोसीन पर दी जाने वाली सब्सिडी में 33 फीसदी की कटौती करने की सिफारिश की थी।पिछले केंद्रीय बजट में सब्सिडी की पूरी व्यवस्था में सुधार का वायदा किया गया था। इसके तहत सब्सिडी के तीन प्रमुख घटकों, खाद्य, खाद और ईंधन को एक खर्च प्रबंधन आयोग के दायरे में लाया गया था, जिसे आवंटित सब्सिडी की समीक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई थी, ताकि सामाजिक स्तर पर इसका अधिकतम नतीजा मिल सके।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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