7 वें वेतन आयोग पर पुनर्विचार की मांग

नईदिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एक संगठन ने मांग की है कि सातवें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की रिपोर्ट पर एक बार फिर से गौर किया जाए और एक पुनर्गठित वैतनिक ढांचा लाया जाए। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के पास जमा कराए गए ज्ञापन में ‘गवर्नमेंट एंप्लॉयज नेशनल फेडरेशन’ ने कहा कि सातवीं सीपीसी रिपोर्ट में कुछ सकारात्मक सिफारिशें हैं लेकिन इसके साथ ही कुछ ऐसे पहलू भी हैं, जिनपर दोबारा गौर करने की जरूरत है। ज्ञापन में कहा गया कि वेतन संरचना के पुनर्गठन के काम से कई विसंगतियां पैदा हो गई हैं। इसमें आगे शिकायत की गई कि पे ग्रेड और पे बैंड के सिद्धांत को समाप्त कर दिया गया है और सभी स्तरों पर वेतन की भी श्रेणियों को वेतन सांचे में मिला दिया गया है।

कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि पिछले माह जमा कराई गई रिपोर्ट पर सरकार गौर कर रही है। इसपर आगे कार्यवाही वित्त मंत्रालय और अन्य संबंधित पक्षों से जानकारी मिलने के बाद की जाएगी। सिंह ने कहा कि राय में भिन्नता हो सकती है। लेकिन कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग है, जिसने इस रिपोर्ट की सराहना की है। उन्होंने 18 हजार रुपए के न्यूनतम मूल वेतन और अधिकतम सवा दो लाख रुपए के वेतन, वेतन में 16 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश के साथ-साथ भत्तों में 63 फीसद और पेंशन में 24 फीसद की वृद्धि की भी सराहना की है।

सिंह ने कहा कि रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बताया था कि व्यय सचिव की अध्यक्षता में एक क्रियान्वयन सचिवालय का गठन किया गया है जबकि कैबिनेट सचिव के तहत एक अलग अधिकार संपन्न समिति विभिन्न भागीदारों से मिले सुझावों पर गौर करेगी। मंत्री ने कहा, ‘इसलिए यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि कर्मचारियों द्वारा जताई गई चिंताओं और संदेहों (यदि कोई हों तो) का सरकार द्वारा ख्याल रखा जाएगा।’ केंद्र सरकार के कर्मचारियों की संख्या करीब 50 लाख है।

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