इंदौर। महू विधानसभा चुनाव में आचार संहिता का उल्लंघन और मतदाताओं को शराब,रुपए और बर्तन सहित अन्य सामग्री बांटने के मामले में लगी जनहित याचिका में झूठा शपथ पत्र देने के मामले में कैलाश के खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज हो गया है. 11दिसंबर को इस प्रकरण की पहली सुनवाई होगी. यदि वे दोषी साबित होंगे तो उन्हें सात साल की सजा भी हो सकती है.
जस्टिस आलोक वर्मा की एकल पीठ द्वारा दिए गए आदेश पर शपथ पत्र के मामले में कोर्ट में सूक्ष्म जांच होगी. कोर्ट को प्रथम दृष्टया में मामले में गड़बड़ी मिली थी. कैलाश की विधायकी पर चुनाव याचिका लगने के बाद पहले ही तलवार लटकी थी. अब झूठे शपथ पत्र के मामले में केस दर्ज होने के बाद सजा का खतरा भी मंडरा रहा है.
खुद को बताया था मंत्री
महू विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार अंतरसिंह दरबार द्वारा लगाई गई चुनाव याचिका पर विचारण के दौरान विजयवर्गीय की तरफ से दो शपथ पत्र पेश किए गए थे. एक में उन्होंने खुद को सात सिंतबंर को प्रदेश सरकार का मंत्री बताया था.जबकि वे उस समय मंत्री पद पर आसीन नहीं थे. इसके अलावा हाईकोर्ट नोटरी के रजिस्टरमें भी उनके हस्ताक्षर नहीं थे. उनके या उनके वकील के स्थान पर किसी अन्य ने हस्ताक्षर किए थे.
सीसीटीवी फुटेज जब्त
धारा 340 के तहत दिए गए इस आवेदन का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने नोटरी के रजिस्टर और उस दिन के सीसीटीवी फुटेज पहले ही जब्त कर लिए थे. जांच में प्रथम दृष्टया शपथ पत्र के झूठे लगने की आशंका में कोर्ट ने आरपीसी की धारा 195 (1) (ख) के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है. शपथ पत्र झूठे साबित होने पर मामला निचली अदालत को भेजा जाएगा और विजयवर्गीय को अपनी जमानत करानी होगी.