ग्वालियर। कलेक्टर डॉ. संजय गोयल ग्रामीण क्षेत्र के दौरे पर जा रहे थे कि तभी जौरासी घाटी के नजदीक उनकी कार से पास से एक हाईस्पीड बस सनसनाती हुई निकल गई। बस की स्पीड देख कलेक्टर भी चकरा गए। उन्होंने पीछा किया और बस को पकड़कर पंचनामा बनवाया।
कलेक्टर ने खुद माना कि बस की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि कोई भी हादसा हो सकता था। वो निर्धारित स्पीड से बहुत ज्यादा तेज दौड़ रही थी। इस घटना के बाद आरटीआई ने बस को पकड़कर थाने में जब्त करवा दिया है, लेकिन मुद्दा यहीं खत्म नहीं हो जाता, क्योंकि वो अकेली बस नहीं थी। सवाल यह है कि आरटीओ ऐसे ड्रायवरों के लाइसेंस रद्द क्यों नहीं कर रहा जो निर्धारित से ज्यादा स्पीड से बसें दौड़ा रहे हैं। हर दुर्घटना में बस चालक की गलती या बस में तकनीकी खामी तलाशी जाती है परंतु ना तो बस का परमिट रद्द होता और ना ही चालक का लाइसेंस। एक दुर्घटना बचाने के लिए सरकार हर दुपहिया चालक के सिर में हेलमेट फंसा रही है परंतु एक साथ कई जानों को जोखिम में डालने वाली बसों पर इस तरह की कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।
