भोपाल। जरा सोचिए, एक इकलौता बेटा यदि अपने ही बाप को मारने के लिए सुपारी किलर्स भेज दे तो पिता के दिल पर क्या गुजरती होगी। यह दर्द इन दिनों 65 वर्षीय निर्मल अजमेरा भोग रहे हैं। वो गर्व से बताते हैं कि विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष रहे अमरचंद अजमेरा के बेटे हैं परंतु आंख में आंसू नहीं थमते जब वो यह बताते हैं कि विनीत उनका बेटा है। क्योंकि पिता की प्रॉपर्टी पाने के लिए विनीत ने दो रोज पहले ही सुपारी किलर्स को अपने बाप की सुपारी दे दी थी।
वे कहते हैं मेरा दुर्भाग्य है कि विनीत मेरा बेटा है। उसके लिए मैंने क्या कुछ नहीं किया। सुभाष नगर में मेरी स्टील फर्नीचर की फैक्ट्री भी थी। अपने पिता के कहने पर फैक्ट्री का काम मैंने विनीत के हवाले कर दिया। वह शुरू से ही गैर जिम्मेदार था। नतीजा ये रहा कि वर्ष 2003 में फैक्ट्री बंद करनी पड़ी।
इसके बाद उसने भोपाल में काफी कर्ज ले लिया। तगादे हम तक पहुंचने लगे। वर्ष 2004 में मजबूरन विनीत को हरदा भेजा गया, यहां हमारे परिवार का 40 एकड़ खेत है। यहां भी उसकी हरकतें कम नहीं हुईं और तीन साल बाद उसे इंदौर जाना पड़ा। उसने बीकॉम किया है। एक कंपनी में वह अकाउंटेंट का काम करने लगा, लेकिन कर्ज लेना उसकी आदत बन चुकी थी। विनीत और उसका साथी मुझे मार ही डालते। शुक्र है कि उसी वक्त किसी महिला ने शोर मचा दिया। शोर सुनकर दोनों मुझे मरा समझकर भाग निकले।
कौन हैं निर्मल अजमेरा
अमरचंद अजमेरा के तीन बेटे हैं। निर्मल उनके सबसे बड़े हैं। उनसे छोटे हेमंत के पास फूड प्रोडक्ट की एजेंसी है, जबकि सबसे छोटे प्रदीप हरदा में खेती करते हैं।
मैं उन्हें नहीं मारता तो लोग मुझे मार देते: विनीत
पुलिस गिरफ्त में विनीत ने अपने पिता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने कहा कि मुझे कभी पिता का सुख नहीं मिला। इंदौर में मुझ पर दो लाख रुपए का कर्ज हो गया था। घटना के करीब चार महीने पहले मैंने पिता से कर्ज चुकाने के लिए दो लाख रुपए मांगे थे। उन्होंने इनकार किया तो प|ी के जेवर मांगे, ताकि उन्हें गिरवी रख कर कर्ज उतार सकूं। लेकिन पिता ने वो जेवर भी नहीं दिए। मुझे जान से मारने की धमकियां मिलने लगी थीं। दो लाख रुपए दे देते तो शायद मैं दोबारा खड़ा हो जाता। इसी मानसिक तनाव में मैंने ये कदम उठा लिया। मैं उन्हें नहीं मारता तो शायद लोग मुझे मार डालते।