मननीय संपादक महोदय
भोपाल समाचार
आपके माध्यम सें में अपनी (आम अध्यापक) की बात रखना चाहता हूूॅ।
बहुत दिनों से हम देख रहे और समझ भी रहे है कि जो अध्यापक आंदोलन चेतना हीन हो गया था। सभी अध्यापक मात्र छटवा वेतन मान 2017 में प्राप्त करते। सभी का भारी नुकसान होता। एक बार भी एक अजब के साहस के धनी व्यक्ति ने धीरे धीरे चेतना जाग्रत करने का बेड़ा उठाया। धीरे धीरे राई का पहाड़ बनाया। प्रदेश के लाखों अध्यापकों कों एक किया उनमें फिर से विश्वास जगाया की हम अपना सम्मान पा सकते। मध्यप्रदेश में 13 सितम्बर से अजब का सैलाब आया। पुराने पदाधिकारीयों ने भी सोचा होगा की यहा क्या हो गया लेकिन सभी अध्यापक मित्रों कें सहयोग और क्रांतीकारी नेतृत्व के दम पर आजाद अध्यापक संगठन का कारवाॅ चल पड़ा अपने सम्मान की प्राप्ति के लियें और माननीय मुखिया जी के आश्वासन से लग भी रहा है कि खोये सम्मान की कुछ भरपाई जरुर होगी।
लेकिन अचानक ही कुछ महत्वाकांक्षी लोग नकली मुखौटा लगाकर साथ हुयें और जब लगा की आंदोलन प्रदेश के अध्यापकों की तपस्या का फल मिलने वाला है, तो उसका श्रेय अपने नाम करवाने की होड़ मच गयी लेकिन एक बात स्पष्ठ है जो दिल में बसता है उसकी बात अलग है। जब मुखियाजी कह ही रहे हे देना है मे ही दूंगा, तो थोड़ा इंतजार और करलों क्या फर्क पड़ता है। अगर गुरु में धैर्य नही तो व गुरु नही। हम आम अध्यापक मध्यप्रदेश के सभी अध्यापक, संविदा, गुरुजी, संगठनों के पदाधिकारीयों सें सादर निवेदन करते है की हम पहले भी स्वार्थ सिद्धि के कारण बहुत नुकसान सह चुके है और सहा नही जायेगा। आप को लीडर बनाया हम ने हमारें बीना आप कुछ नही। आप की पहचान हमसे है। निवेदन है कि आप सारी कड़वाहट को भुलकर एक साथ आगे बड़े सफलता जरुर मिलेगी। अपने संगठनों में ऐसा हो रहा है जेसा की कक्षा में छात्रों के बीच बैठक व्यवस्था के लिये होता है। यह किसी एक के सम्मान की लड़ाई नही है पूरे मध्यप्रदेश के अध्यापकों की सम्मान की लड़ाई है । आप अगर इस मुकाम पर आके ऐसे बिखर जायेंगे तो अपने स्वर्णिम भविष्य का सपना भी तिनके तिनके हो जायेगा ।
लड़ना हो तो जी भर के लड़ों , बेर रखने से क्या होगा ।
जन्नत बनानी है तो धरा पर बनाओं , स्वर्ग में जाने सें क्या होगा ।
सादर वन्दे
आम अध्यापक
मध्यप्रदेश
