भोपाल। प्रदेश के स्कूलों में स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय के तहत शौचालय निर्माण के लिए भेजी गई दौ सौ करोड़ की राशि का क्या हुआ राज्य शिक्षा केंद्र को पता नहीं है। इस संबंध में केंद्र द्वारा लगातार कई पत्र लिखे जाने के बाद भी जिलों से न तो कोई रिपोर्ट आ रही है और न ही कोई उपयोगिता प्रमाण पत्र। दरअसल इसकी जिम्मेदारी राज्य शिक्षा केंद्र को सौंपी गई थी।
स्कूलों में निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उससे संबंधित दस्तावेज भेजने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने जिला कलेक्टरों सह जिला मिशन संचालक को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि वे शौचालयों के पूर्णता और उपयोगिता प्रमाण-पत्र जल्द से जल्द केंद्र को भिजवा दें। इस बात को दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन प्रदेश के किसी भी जिले ने यह जानकारी भेजने में रचि नहीं ली। इधर, राज्य शिक्षा केंद्र का दावा है कि सभी स्कूलों में निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। लेकिन जिलों से जानकारी नहीं मिलने से उसके दावे की सच्चाई पर सवालिया निशान लग गया है। इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद स्कूलों में शौचालय बने भी हैं या नहीं। अब यह तो जानकारी आने के बाद ही पता चलेगा।
- पत्रों का जवाब नहीं
- जिलों में पत्र पहुंचने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा है।
- पूरा हिसाब-किताब शिक्षा केंद्र ने मांग लिया है।
- भेजे गए पत्र में कहा गया है कि शौचालयों के पूर्णता और उपयोगिता प्रमाण-पत्र भिजवाओ।
- राज्य शिक्षा केंद्र जिला कलेक्टरों को पिछले दो महीने में तीन बार पत्र लिख चुका है।
- 20 अगस्त 2015 को पहला पत्र भेजा था।
- 28 सितंबर 2015 को दोबारा पत्र लिखकर भेजा था।
- 26 अक्टूबर को तीसरी बार पत्र सभी जिलों को भेजा।
नहीं भेज रहे जानकारी
सभी जानकारी मंगाने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र जिला कलेक्टरों को पिछले दो महीनें में तीन बार पत्र लिख चुका है। केंद्र ने 20 अगस्त 2015 को पहला पत्र भेजा था, जिसमें समस्त जानकारी भेजने के लिए कलेक्टरों को एक माह का समय दिया गया था। जब उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी, तो केंद्र ने 28 सितंबर 2015 को दोबारा पत्र लिखकर 15 दिन में जानकारी भेजने के निर्देश दिए। इसके बाद भी सभी जिलों का रवैया लापरवाही का बना रहा। केंद्र ने 26 अक्टूबर को एक बार फिर पत्र लिखकर सभी जिलों को जानकारी भेजने के लिए कहा है। राज्य शिक्षा केंद्र के पत्र से जिलों में अब हड़कंप मचा हुआ है।
सभी जिलों से मंगाई रिपोर्ट
राज्य शिक्षा केंद्र के अफसरों का कहना है कि प्रदेश के सभी 51 जिलों में दस हजार नए शौचालय बनाए गए हैं। इसके अलावा लगभग इतने ही शौचालयों की मरम्मत भी कराई गई है। यह काम पूरा होने संबधी रिपोर्ट केंद्र ने सभी जिलों से मंगाई है। इसके लिए कलेक्टर सह जिला मिशन संचालक को शौचालय निर्माण की पूर्णता और उपयोगिता का प्रमाण पत्र तथा सीए की रिपोर्ट भेजने को कहा है। इसके अलावा नवनिर्मित और मरम्मत किए गए शौचालयों की फोटो विभाग की एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। इस कवायद के पीछे केंद्र का उद्देश्य है कि इससे शौचालय के निर्माण की पुष्टि हो जाएगी। इसके अलावा जिस जिले में सबसे अच्छा काम हुआ हो उसे केंद्र द्वारा प्रशंसा-पत्र भी दिया जाएगा।
बढ़ाई थी समय सीमा
शासन ने अभियान को पूरा करने की डेडलाइन 30 जून 2015 तय की थी। बजट की कमी के चलते निर्माण कार्य में देरी हुई और समयसीमा को बढ़ाकर 15 अगस्त 2015 कर दिया गया। इसके बाद केंद्र के अफसरों ने मान लिया कि स्कूलों में शौचालय बन चुके हैं। लेकिन काम की वास्तविक रिपोर्ट राज्य शिक्षा केंद्र के पास अब तक नहीं पहुंची है। इसलिए यह अभियान सवालों के घेरे में हैं।
मुश्किल से जुटा बजट
इस पूरे काम को करने के लिए राज्य शासन ने बड़ी मुश्किल से बजट जुटाया था। प्रदेश सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग को अपने स्तर पर राशि जुटाने के निर्देश दिए थे। वहीं इस काम के लिए मुख्यमंत्री स्वच्छता कोष, सांसद निधि और विधायक निधि से भी मदद ली गई। इसके अलावा कॉपोर्रेट सेक्टर और सरकारी कंपनियों ने भी इस काम में सहयोग किया है।
इनका कहना है
सरकारी स्कूलों में शौचालय बनने का काम पूरा होने संबंधी जानकारी विभाग ने मांगी है। चर्चा करके स्थिति पता करेंगे।
दीपक जोशी, राज्यमंत्री स्कूल शिक्षा विभाग
