बड़वानी में भी शौचालय घोटाला उजागर

भोपाल। मप्र मे शौचालय घोटाले का खुलासा किश्तों में हो रहा है। अब तक आधा दर्जन जिलों में इस घोटाले का खुलासा हो चुका है। हमारे सूत्र दावा कर रहे हैं कि पूरे प्रदेश में यही हाल है और इसी जांच मॉनीटर करने के लिए एक सेंट्रल इंवेस्टीगेशन टीम होनी चाहिए। 

ताजा घोटाला बड़वानी की कसरावद, लोनसराखुर्द, पानसेमल सहित 101 पंचायतों में बीते दो-तीन साल में हुआ। भौतिक सत्यापन में घोटाला प्रमाणित भी हो गया। मंत्रालय रिपोर्ट पहुंचने पर स्वच्छ भारत मिशन में संविदा आधार पर नियुक्त जिला समन्वयक सुधीर वाघमारे की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।

बड़वानी में पंचायतों ने यूपीए सरकार के वक्त लागू किए गए निर्मल भारत अभियान में टायलेट निर्माण के लिए मिली राशि का गबन कर लिया। पंचायतों को ये राशि हितग्राहियों को टायलेट बनाने के लिए देने दी गई थी पर सरपंच और सचिवों ने इसे निकाल लिया। कलेक्टर की जनसुनवाई में इसको लेकर जब शिकायतें बढ़ने लगी तो जांच दल बनाकर सत्यापन कराया गया तो बड़ा घोटाला सामने आ गया। सूत्रों के अनुसार कसरावद पंचायत में सरपंच और सचिवों ने 40 लाख रुपए से ज्यादा निर्मल भारत अभियान और 1 लाख 60 हजार रुपए परियोजना मद से निकाले और हितग्राहियों को टायलेट निर्माण के लिए देना बताया।

जांच में इसके उलट सरपंच और सचिव ने जितने टायलेट बनाया जाना बताया था वो मौके पर पाए ही नहीं गए। इसी तरह लोनसराखुर्द पंचायत में 8 लाख 18 हजार रुपए से ज्यादा की गड़बड़ी प्रमाणित हुई। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पूरे जिले में पड़ताल कराई तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए। करीब 101 पंचायतों में 5 करोड़ 40 लाख रुपए की अनियमितता पाई गई। मंत्रालय को रिपोर्ट मिलने पर संविदा आधार पर नियुक्त स्वच्छ भारत अभियान के जिला समन्वयक सुधीर वाघमारे की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। वहीं, राज्य कार्यक्रम अधिकारी हेमवती वर्मन ने बताया कि गड़बड़ी की रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई की जा रही है। सरपंच और सचिवों से वसूली की कार्रवाई चल रही है। अब सारी व्यवस्था ऑनलाइन कर दी है। राशि भी सीधे हितग्राही के खाते में डाल रहे हैं। 

ऐसे किया खेल
पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अधिकारियों ने बताया कि जहां से भी टायलेट निर्माण में घोटाले की जानकारी मिल रही है सब जगह तरीका एक ही है। हितग्राही के नाम पर सरपंच और सचिव ने मिलीभगत करके पैसे निकाले और कागजों पर टायलेट निर्माण होना बता दिया। इस मामले में ग्रामसभा को भी अंधेरे में रखा गया। हितग्राही चयन की सूचना सार्वजनिक नहीं की गई और ऑनलाइन डाटा दर्ज करा दिया। 

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