कार्यकर्ताओं के प्रति नंदूभैया का दोहरा चरित्र

भोपाल। नंदकुमार सिंह चौहान ने अपनी नियुक्ति से आज तक 'आभार कार्यकाल' ही बिताया। उनकी नियुक्ति शिवराज सिंह के​ विशेष प्रयासों से हुई थी, इसलिए ना केवल वो खुद नियमित रूप से सीएम हाउस की परिक्रमा करते रहे बल्कि अपने पद और अधिकारों का उपयोग भी केवल और केवल सरकार के लिए किया। अनुशासनहीनता के दर्जनों मामलों में केवल उन पर ही तत्काल कार्रवाई हुई जो सरकार के लिए समस्या बन गए थे। जो संगठन के बड़े गद्दार थे, लेकिन सरकार के लिए नुक्सानदायक नहीं थे, उनके मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

रीवा के जिला पंचायत अभय मिश्रा ने पंचायत प्रतिनिधियों के साथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला तो पार्टी ने उनकी गतिविधियों को अनुशासनहीनता ठहराते हुए पार्टी से तत्काल बाहर कर दिया। पूर्व में इसी तरह पन्ना जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे संजय नागाइच को भी पार्टी पहले ही छह साल के लिए बाहर कर चुकी है। करीब तीन साल पहले किसानों की समस्याओं को लेकर ट्रेक्टर ट्रालियों से राजधानी में ऐतिहासिक जाम लगाकर सुर्खियां बटोरने वाले किसान नेता शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का से बीजेपी किनारा कर चुकी है। ये कुछ वो नाम है जिनके साथ भाजपा ने देशद्रोहियों जैसा व्यवहार किया। 

पिक्चर अभी बाकी है..
लेकिन लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती। दर्जनों ऐसे मामले भी हैं जिसमें अनुशासनहीनता के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा बात को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। अनुशासनहीनता समिति ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को 19 मामलों में कार्रवाई की सिफारिश भी की है। समिति के प्रदेश संयोजक केशव पाण्डे छानबीन के बाद छिंदवाड़ा के 8, बालाघाट 4, सिवनी 4 एवं होशंगाबाद के 3 लंबित मामलों में कार्रवाई की सिफारिश कर चुके है। होशंगाबाद का मामला तो अभी तक जांच के लिए लंबित है।

यह रिपोर्ट का तात्पर्य यह कदापि नहीं कि जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई वो नहीं होनी चाहिए थी, परंतु केवल यह है कि जिनके खिलाफ नहीं हुई उनके खिलाफ भी होनी चाहिए। नंदूभैया को उस संगठन के हित में भी विचार करना चाहिए जिसने उन्हें इस योग्य बनाया। संगठन में गद्दार रहेंगे तो फिर ढांचा ही बिगड़ जाएगा। 

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