भोपाल। जब सरकारें अक्षम हो जातीं हैं तो समाज के 2 चैहरे सामने आते हैं। पहला वो जो बागी हो जाए और दूसरा वो जो व्यवस्था को हाथ में लेने की कोशिश करे। बैतूल के कुछ स्कूली बच्चों ने ऐसा ही किया। आर्थिक तंगी के चलते आत्मघाती कदम उठाने वाले किसान को सरकार ने तो कोई मदद नहीं पहुंचाई परंतु स्कूली बच्चे अपनी गुल्लक के पैसे लेकर पहुंच गए। बच्चों ने ना तो वहां मीडिया का इंतजार किया और ना ही अपना कोई फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाला।
दरसअल, बीते 5 नवंबर को बैतूल के ठानी गांव में रहने वाले किसान रमेश पाटनकर ने कर्ज और फसल बर्बादी से दुखी होकर खुदकुशी करने का प्रयास किया था. गनीमत ये रही कि रमेश को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे बचा लिया गया।
खबर प्रकाश में आते ही बैतूल में कुछ स्कूली बच्चे अपने पॉकिट मनी के पैसे इकट्ठे करके पीड़ित किसान परिवार को मदद देने जिला अस्पताल पहुंच गए। स्कूली छात्रा शिवानी झरबड़े ने बताया कि पहले तो पीड़ित किसान के परिवार ने बच्चों से मदद लेना ठीक नहीं समझा, लेकिन बच्चों की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा।
पीड़ित की पत्नी कमला ने बताया कि, स्कूली बच्चों ने उसके पति से इस बात का वचन भी लिया कि वो भविष्य में कभी दुबारा आत्महत्या करने की गलती को नहीं दोहराएगा। किसान रमेश ने बच्चों की भावनाओं का सम्मान रखते हुए उन्हें वचन दिया। बच्चों की इस मासूमियत को देख सबकी आंखें भर आईं।
