इंदौर। यहां मप्र का खजाना खाली है। किसानों को देने के लिए पैसा नहीं है। कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। सरकारी नौकरियों के लिए भर्तियां टाल दी गईं हैं, क्योंकि वेतन देने को पैसे नहीं है और इंदौर में एक छोटे से प्रयोग के लिए 100 करोड़ का खर्चा किया जा रहा है वो भी कुछ इस तरह से कि लोगों को गर्व महसूस हो।
मामला इंदौर में स्मार्ट सिग्नलिंग का है। शहर के 173 चौराहों पर कैमरे फिट किए जाएंगे जो यह देखेंगे कि किस लेन में कितना ट्रेफिक लोड है और इस हिसाब से अपने आप ग्रीन और रेड सिग्नल की टाइमिंग तय हो जाएगी। कुल मिलाकर कैमरे पूरे यातायात को कंट्रोल कर लेंगे। इस पर 100 करोड़ रुपए का खर्चा आएगा।
प्रचारित किया जा रहा है कि स्मार्ट सिग्नलिंग के मामले में इंदौर देश का पहला शहर बन जाएगा लेकिन समस्या भी यही है। जो काम देश के किसी दूसरे शहर में नहीं हुआ, उसकी सफलता पर भी सवाल उठाए जा सकते हैं। इसे आप एक प्रयोग से ज्यादा कुछ नहीं कह सकते। फेल भी हो सकता है। फिर क्या जरूरत है कि कड़की के दिनों में ऐसा खर्चा किया जाएगा।
