ग्वालियर। हाईकोर्ट ने सीबीआई से पूछा है कि वह व्यापमं मामले में एसआईटी पर लगे आरोपों की जांच क्यों नहीं कर रही है। इससे पहले सीबीआई ने इस जांच को करने से इंकार कर दिया था। याद दिला दें कि व्यापमं घोटाले की जांच कर रही एसआईटी पर अवैध वसूली के आरोप लगाए गए हैं।
डॉ. राजेन्द्र तरेटिया और डॉ. सतेन्द्र टैगोर ने ग्वालियर में हाई कोर्ट की युगल पीठ में शपथ पत्र देकर एसआईटी पर आरोप लगाए हैं कि एसआईटी के स्टाफ के लोग उनसे स्मार्ट फोन खरीदने के लिए पैसे मांग रहे हैं। पैसे न देने पर उनको प्रताड़ित कर मारपीट भी की जा रही है। इससे परेशान होकर उन्हें मजबूरन 15-15 हजार रुपए देने पड़े। इन्हीं आरोपों की जांच के लिए हाईकोर्ट ने ग्वालियर लोकायुक्त को निर्देश दिए थे।
इसके बाद लोकायुक्त ने एक याचिका दायर कर दी। याचिका में लोकायुक्त ने तथ्य रखे कि एसआईटी ने जिन लोगों से रिश्वत मांगी थी उनको व्यापमं घोटाले की पूछताछ में शामिल किया गया था। इस समय व्यापमं स्कैम की जांच सीबीआई कर रही है, ऐसे में एसआईटी के जरिए रिश्वत मांगने की जांच सीबीआई को ही करनी चाहिए।
लोकायुक्त की याचिका पर सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे असिस्टेंट सोलिसिटर जनरल विवेक खेड़कर ने कोर्ट को बताया कि रिश्वत के लिए जो शपथ पत्र पेश किए गए हैं, उससे सीबीआई का कोई संबंध नहीं है। सीबीआई के पास व्यापमं की जांच करने के लिए स्टाफ की पहले से ही कमी है ऐसे में वो एसआईटी पर लगे रिश्वत के आरोपों की जांच नहीं कर सकते।
इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिए कि वो यह शपथ पत्र में लिखकर बताएं कि वो एसआईटी पर लगे आरोपों की जांच क्यों नहीं कर सकते। कोर्ट ने सीबीआई को जवाब देने के लिए तीन हफ्तों का वक्त दिया है।
