जबलपुर। कर्मचारी के रिटायरमेंट के बाद विभाग उस पर रिकवरी नहीं निकाल सकता। यह अनुचित कहा जाएगा। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर के पॉलीटेक्निक कॉलेज के सेवानिवृत्त वरिष्ठ व्याख्याता ग्रेड-वन हीरालाल कश्यप से रिकवरी को अनुचित करार दिया।
न्यायमूर्ति आलोक आराधे की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता सचिन पाण्डेय ने रखा। उन्होंने दलील दी कि 2 लाख 76 हजार 803 रुपए की रिकवरी सेवानिवृत्ति के बाद निकाली गई। चूंकि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के पूर्व न्यायदृष्टांतों के मुताबिक सेवानिवृत्ति के बाद इस तरह रिकवरी नहीं की जा सकती, अतः न्यायहित में हाईकोर्ट की शरण ले ली गई। खासतौर पर सुप्रीम कोर्ट का पंजाब राज्य संबंधी रफीक मसीह का आदेश इस मामले में लागू होता है, जिसकी रोशनी में याचिकाकर्ता को इंसाफ मिलना चाहिए।
बहस के दौरान अधिवक्ता सचिन पाण्डेय ने बताया कि अधारताल निवासी याचिकाकर्ता ने पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ सेवा दी। 31 अगस्त 2014 को बिना किसी दाग के सेवानिवृत्त हो गया। इसके बावजूद विभागीय स्तर पर मनमानी करते हुए रिकवरी निकाल दी गई। इसका कोई ठोस व विधिसम्मत कारण नहीं बताया गया। जिससे असंतुष्ट होकर कई बार आवेदन-निवेदन किया गया। जब कोई नतीजा नहीं निकला तो हाईकोर्ट आना पड़ा।