राजकुमार सोनी/भोपाल। महंगाई की मार से 'रावण' भी परेशान है। देश भर में विजयादशमी के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस बार भी पुतले बनाने के काम राजधानी में अनेक स्थानों पर चल तेजी से चल रहे हैं लेकिन वे पुतला बनाने में काम आने वाले सामग्री की ऊंची कीमतों के कारण कारीगर परेशान हैं। इसमें लगभग 15 फीसदी इजाफा हुआ है।
50 साल से बना रहे रावण
भेल इलाके में रहने वाले नन्नूलाल साहू का परिवार पिछले 50 सालों से रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण के पुतले बना रहे हैं। उनके परिवार में पांच बेटे भी रावण बनाने का कार्य अनवरत रूप से अभी तक कर रहे हैं। बड़ा बेटा ओमप्रकाश साहू (63), रमेश कुमार साहू (55), सोहनलाल साहू (43) व मोहनलाल साहू हर साल 65 बड़े पुतले व 100 से अधिक छोटे पुतले बना लेते हैं।
कच्चे माल की कीमती बढ़ीं
सोहनलाल साहू ने बताया कि इस बार पुतला निर्माण में काम आने वाली सभी सामग्रियां महंगी हो गई हैं। 20 बांस का एक गमहामेधार पिछले साल 125 रुपए का था, जो इस साल 150 से 200 रुपए हो चुका है। इसी तरह लकड़ी बांधने वाले तार जहां पिछले वर्ष 40 रुपए किलो थे, वह आज 90 से 100 रुपए किलो हो चुके हैं। कागज का दाम भी 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है। इसी तरह मजदूरी भी पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ चुकी है। ऐसे में इस बार पुतलों के दाम 15 से 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
मोहनलाल साहू ने कहा कि इस बार रावण के पुतलों का दाम 400 से 450 रुपए प्रति फुट है, जबकि पिछले साल यह 300 रुपए प्रति फुट था। यानी 65 फुट के पुतले के लिए 45,000 रुपए से अधिक के दाम चुकाने होंगे। रमेश कुमार साहू कहते हैं कि यहां पुतला बनाने के लिए आसपास के इलाकों से कारीगर नहीं मिलते, दिल्ली, इंदौर, ग्वालियर से कारीगरों को भी बुलाना पड़ता है। जो दो माह पहले से आकर निर्माण कार्य में लग जाते हैं।
दूर-दूर तक जाते हैं भोपाल के रावण
सोहनलाल साहू ने बताया कि हमारे द्वारा बनाए गए रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण के पुतले भोपाल व उनके आसपास के जिलों तक ही सीमित नहीं हैं। दिल्ली, इंदौर, ग्वालियर, अहमदाबाद, दिल्ली तक जाते हैं। लेकिन इस बार महंगाई बढऩे से पुतलों के आर्डर कम आए हैं।
भेल व बिट्टन मार्केट में में जलेगा 65 फुट उंचा रावण
इस बार भेल व बिट्टन मार्केट में 65 फुट ऊंचा सबसे लंबा रावण जलेगा। इसके साथ ही मेघनाद, कुंभकर्ण के पुतले भी जलाए जाएंगे।
छोटे पुतलों की डिमांड बढ़ी
गली-मोहल्लों में जलने वाले रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण के पुतलों की इस बार मांग अधिक है। पिछले साल की तुलना में इसमें 20 से 25 फीसदी तक इजाफा हुआ है। इनकी कीमत 1 हजार से 5 हजार रुपए तक है।
