भोपाल। त्रिस्तरीय पंचायतीराज संगठन के संयोजक डीपी धाकड़ का कहना हैं कि स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार हैं, इसे पाने के लिए लाखो देश भक्तो ने आजादी की लडाई में अपने प्राणो की आहूती दी है। त्रिस्तरीय पंचायतीराज संगठन तो सिर्फ पंचायतीराज के निर्वाचित लाखों जनप्रतिनिधयो के संवेधानिक अधिकारो को किर्यान्वन करने की लडाई लड रहा है, ओर यह लडाई तब तक जारी रहेगी जब तक प्रदेश सरकार पंचायत प्रतिनिधियो के संवेधानिक अधिकार बहाल नही करती।
28 अक्टूबर को भोपाल में होने वाले घेरा डालो डेरा डालो महाआंदोलन की तैयारीयो का जायजा लेने आए डी पी धाकड ने प्रेस को जारी विज्ञप्ती में यह बात कही।
डीपी धाकढ ने समूचे प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधियो से अपील करते हुए कहा कि पंचायतीराज के प्रतिनिधियो को उनके पूर्ण संवेधानिक अधिकारो मिले इसके लिए हम में से कुछ जनप्रतिनिधियो को अपने निहित स्वार्थ से उपर उठकर सर्वस्व न्योछावर कर इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए आगे आना पडेगा।
डीपी धाकढ का कहना हैं कि त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था की प्रारंभिक कढी प्रदेश के सम्मानित पंच और सरपंच हैं, जिनके अधिकारो की लडाई त्रिस्तरीय पंचायतीराज संगठन लड रहा हैं, त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने सरकार से पंचो के लिए 500 रूपये प्रति बैठक भत्ता, और सरपंचो के चैक पावर बहाल किए जाने की मांग कर रहा है, जिस पर सरकार को अपना खजाना खाली होने की चिंता है। जबकि केन्द्र की तर्ज पर राज्य के कर्मचारी और अधिकारीयो को सातवा वेतन मान दिए जाने की घोषणा सरकार पूर्व में ही कर चुकी जिसके जल्द ही लागू हो जाने के बाद 60 से 100 प्रतिशत तक इनका वेतन बढ जायेगा। क्या तब सरकारी खजाने पर असर नही पडेगा ? सरकार का ये भेदभाव पूर्ण रवेया क्यो ?
डी पी धाकढ ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में 51 जिला पंचायत अध्यक्ष/उपाध्यक्ष, 313 जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पिछले 10 वर्षो से अपने संवेधानिक अधिकारो की लडाई लड रहे है और पिछले 10 सालो में सरकार से जब जब इन जनप्रतिनिधियों ने अपने हको की मांग की तो संख्याबल कम होने के कारण सरकार इनकी मांगो को कुचल देती थी।
यही रवैया सरकार ने प्रदेश के 23 सरपंचो के साथ अपनाकर उनको संविधान द्वारा प्रद्वत चेक पावर के अधिकार छीन कर उन्हे पांच वर्ष के लिए ठेके का बधुआ मजदूर बनाकर छोड दिया है। अब हमारे आदोलन की रीड प्रदेश के यही 23 हजार सरंचच है, और त्रिस्तरीय पंचायती राज संगठन इनके हितो की अनदेख किसी भी हाल में बर्दाश्त नही की कर सकता।
डी पी धाकढ ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार हैं और पंचायतीराज में छोटे छोटे पंच से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक निर्वाचित हुए लगभग 80 प्रतिशत लोकसेवक बीजेपी के कार्यकर्ता है,अथवा यू कहे तो अतिश्योक्ति नही होगी कि समूचे प्रदेश के 80 प्रतिशत बीजेपी कार्यकर्ता पंचायती राज में जनप्रतिनीधि चुनकर आए है। बाबजूद इसके उनकी स्ंवय की पार्टी पिछले 10 सालो से लगातार उनके संवेधानिक अधिकार छीनकर उनकी अनदेखी कर रही हैं।
डी पी धाकड ने कहा कि भाजपा की इस दमनकारी नीति के चलते भाजपा के चुने हुए 80 प्रतिशत पंचायतीराज के प्रतिनिधि अपनी ही पार्टी एंव सरकार में उपेक्षा का शिकार हो रहे है। इसीलिए एैसे लाखो पंचायत प्रतिनिधि इसे बीजेपी और काग्रेंस की लडाई से अलग कर सिर्फ और सिर्फ अपने सवेंधानिक अधिकारो की लडाई मानकर त्रिस्तरीय पंचायतीराज संगठन के बैनर तले लडाई लडने पर आमदा हैं।
डी पी धाकढ ने कहा कि पंचो को एक दिन की मजदूरी के बराबर 500 रूपये प्रति बैठक भत्ता मिले, सरपंचो को हर हाल में चैक पावर मिले और ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत की सातो समितियो के अंर्तगत आने वाले 23 विभागो में किर्यान्वन और नस्ती संपादित किए जाने का अधिकार मिलो इन्ही प्रमुख तीन मांगो को लेकर आगामी 28 अक्टूबर को हमने राजधानी भोपाल में महाआंदोलन घेरा डालो डेरा डालो रखा है।
डी पी धाकड ने प्रदेश के सभी पंच और सरपंचो से प्रमुखता से अपील करते हुए कहा कि है आप सभी त्रिस्तरीय पंचायतीराज के इस आंदोलन की महत्वपुर्ण कढी है, और आप इसे अपने अधिकारो की आजादी का आंदोलन मानकार अपने हक की लडाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का सकंल्प लेकर 28 अक्टूबर के महाआंदोलन घेरा डालो डेरा डालो शामिल हो।
