भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को अनिवार्य करने वाली याचिका पर फैसला सुना दिया है जो सरकार के मनमुताबिक नहीं रहा। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड के ऐच्छिक इस्तेमाल का दायरा बढ़ाते हुए कुछ अन्य सरकारी योजनाओं में इसके इस्तेमाल की छूट दे दी. मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आधार के इस्तेमाल को पूर्ण रूप से ऐच्छिक बनाये रखने का निर्देश दिया.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आधार कार्ड का सामाजिक लाभ की योजनाओं में इस्तेमाल स्वैच्छिक ही रहेगा, इसे अनिवार्य नहीं माना जाए. पांच जजों की बेंच ने इसके साथ ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि आधार कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं है और न ही इसके लिए कोई दबाव बनाया जा सकता है.
कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को आधार कार्ड का इस्तेमाल मनरेगा, पेंशन स्कीम, ईपीएफओ और प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत करने की इजाजत दे दी है, लेकिन इसके स्वैच्छिक रखने की बात कही है. जजों की पीठ ने कहा कि आधार कार्ड के इस्तेमाल के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है. न ही हर किसी के पास आधार कार्ड होना जरूरी है. यह पूरी तरह नागरिक की स्वेच्छा पर निर्भर होना चाहिए.
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने अपील की थी कि बैंक अकाउंट खोलने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करने की इजाजत दी जाए. कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.
आधार कार्ड के लिए जरूरी जानकारी और इससे संबंधित गोपनीयता के अधिकार के मामले में आगे 9 से 11 जजों की संवैधानिक बेंच अलग से सुनवाई करेगी.
