ग्वालियर। भाजपा नेता से रिश्वत मांगने वाला एक टीआई लाइन हाजिर हो गया। भाजपा नेता चाहता था कि मवेशी चोरी के मामले में टीआई उसके रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई ना करे, इसके एवज में टीआई ने 40 हजार की रिश्वत मांगी। नेताजी ने आडियो रिकार्ड कर लिया और एसपी तक पहुंचा दिया।
इस पूरे मामले में खास बात यह है कि साडा अध्यक्ष राकेश जादौन ने मामले में मध्यस्थता की और टीआई से टेलीफोन पर बात भी की, लेकिन थाना प्रभारी पैसों के लिए अड़ा रहा।
उसका कहना था-भाजपा नेता पहले उसके पके पकाए (निश्चित तौर पर मिलने वाले पैसे) 40 हजार रुपए, जो वह क्षेत्र के एसडीओपी को दे आया है, दे जाए तब आगे बात होगी। यह ऑडियो दो दिन पुराना है और कार्रवाई के बाद गुरुवार देर रात सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गया।
ऑडियो में थाना प्रभारी त्रिपाठी कह रहा है- न तो तुम हमारे नेता हो और न ही अधिकारी। पहले मेरे पास पैसे लेकर आओ। मेरे हिसाब से चलोगे, तो फिर मैं तुम्हारे हिसाब से चलूंगा।
मामला कुछ यूं है कि घाटीगांव थाना प्रभारी केएन त्रिपाठी मवेशी (जानवर) चोरी में पनाही लेने के संदेह में जसवंत सिंह के तीन रिश्तेदार राकेश, प्राण सिंह व धर्मेंद्र पर दबाब बना रहे थे। तीन बार पुलिस संदेहियों को तलाशने के लिए गांव तक गई। महिलाओं से अभद्रता की। जसवंत सिंह ने पूरे घटनाक्रम से साडा अध्यक्ष राकेश जादौन को अवगत कराकर पहले उनसे टीआई की मोबाइल पर बात कराई। थाना प्रभारी ने राकेश जादौन से भी सीधे कह दिया कि यह मेरे पके पकाए 40 हजार रुपए एसडीओपी घाटीगांव उपाध्याय को दे आया है। वो हमे दे जाए।
नेता कमजोर होगा तो पार्टी कमजोर होगी
राकेश जादौन ने टीआई को समझाने का प्रयास किया कि जसवंत पार्टी का नेता है। और अगर हमारा नेता कमजोर पड़ गया तो पार्टी की जड़ें कमजोर होंगी। जसवंत तुम से अकेले बात करेगा। राकेश जादौन के बाद टीआई और जसवंत के बीच सीधा संवाद हुआ। जसवंत ने केएन त्रिपाठी से कहा मैंने किसी को पैसा नहीं दिया और न ही मेरे पास पैसे हैं, जो तुम्हें देने आऊं।
एसपी के पास महिलाओं को ले जाऊंगा
जसवंत सिंह ने कहा कि अगर पुलिस गांव में गई तो टकराव होगा। मैं गांव की महिलाओं को एसपी साहब के पास ले जाऊंगा। इस पर थाना प्रभारी ने कहा-तुम्हें जहां जाना है जाओ। पुलिस कोई गलत नहीं कर रही है। अब मैं खुद एसडीओपी के पास जाऊंगा। उनसे मेरी तीन तरफ से रिश्तेदारी है। एसपी के पास जाने से पहले तुम हमारी शक्ल देख लो। फिर जहां जाना है चले जाना।
