वाशिंगटन। अमेरिका के कई प्रभावशाली सांसदों ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदुओं की दुर्दशा पर गहरी चिंता जताई है। उनका आरोप है कि पाकिस्तान के इस प्रांत में हिंदुओं को कोई मौलिक अधिकार नहीं मिला है। इनके मानवाधिकार की स्थिति बदतर है। अमेरिकी संसद में इसी सप्ताह सिंध में मानवाधिकार पर ब्रीफिंग के दौरान सांसद लोरेटा सांचेज ने आरोप लगाए, "सिंध का हिंदू समुदाय अपनी औरतों के जबरन इस्लाम में धर्मांतरित होने की आशंका में जीता है।"
हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स के सिंध कॉकस की सहअध्यक्ष लोरेटा ने कहा कि भयावह मानवाधिकार उल्लंघनों और दूसरे अपराधों के चलते सिंध में मानवीय संकट की स्थिति है। सांसद ब्रैड शरमान ने कहा, "हम सिंध और अमेरिका के लोगों के बीच रिश्ते बना रहे हैं। हम चाहते हैं कि अमेरिका सरकार सिंध के लोगों को सिंधी भाषा में संबोधित करे। हम अब भी वायस ऑफ अमेरिका का प्रसारण सिंधी भाषा में करने में सफल नहीं हुए हैं।"
शरमान ने हाल ही में कराची में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की वेबसाइट सिंधी में शुरू करने में मुख्य भूमिका निभाई थी। सांसद एडम शिफ ने भी इस ब्रीफिंग में हिस्सा लिया। अमेरिकी सांसदों को सिंध के मौजूदा हालात की जानकारी देते हुए न्यूयार्क आधारित पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता हसन मुज्तबा ने कहा कि तेजी से बढ़ रहे मदरसे सांप्रदायिक और धार्मिक कट्टर समूहों के लिए पनाहगाह बन रहे हैं। मुज्तबा ने आरोप लगाया, "हाफिज सईद और उनकी जमात-उल-दावा को सिंध प्रांत में खासकर भारत से लगे थार रेगिस्तान के इलाकों और ठट्टा के तटीय इलाकों में अपनी गतिविधियां चलाने की खुली छूट दी गई है।"
