भोपाल। कर्मचारी आंदोलनों को कुचलने में मप्र सरकार अब माहिर हो गई है। किस तरह से लालच देना और किस तरह कर्मचारी नेताओं के बीच मतभेद पैदा करा देना, सरकार में बैठे कुछ लोगों ने इस विषय पर पीएचडी कर ली है। करीब एक दर्जन कर्मचारी आंदोलनों की हत्या करने के बाद अब जबलपुर में चल रहे जलसत्याग्रह को भी खत्म करा दिया गया। सरकार का मिशन सफल हुआ और कर्मचारी आपस में गुत्थम गुत्था।
संगठन के एक धड़े ने अध्यक्ष वाल्मीक शुक्ला पर 5 लाख रुपए लेकर आंदोलन खत्म करने के आरोप लगाए हैं। नाराज कर्मचारियों का कहना है कि वाल्मीक शुक्ला ने मीटिंग से लौटकर कर्मचारियों को धमकी दी कि यदि जल सत्याग्रह खत्म नहीं किया गया, तो वो किसी भी कर्मचारी को नौकरी वापस दिलाने की गारंटी नहीं लेंगे।
खुद पर लग रहे आरोपों पर सफाई देते हुए कर्मचारी संघ अध्यक्ष शुक्ला ने कहा है कि उनकी प्राथमिकता थी कि साथियों की जान न जाए और सरकार उनकी मांग भी मांग ले, इसलिए उन्होंने यह सत्याग्रह खत्म करवाया है। अपनी सफाई में शुक्ला ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से किसी प्रकार का समझौता करने से इनकार किया है।
उल्लेखनीय है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में 342 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी नियमितीकरण और अनुकंपा नियुक्ति के प्रावधान को लेकर जल सत्याग्रह कर रहे थे। यह आंदोलन गांधी जयंती के दिन शुरू हुआ था और पुलिस भी आंदोलनकारियों को रोकने में बिफल हो चुकी थी।
