इंदौर। मैंने पांच बार क्लास के लड़कों की शिकायत टीचर से की थी, पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से किसी तरह का बवाल हो। मन बहुत दुखी था। लड़कों के डर से आत्महत्या करने का मन होने लगा था।
यह बात 11वीं कक्षा की छात्रा ने जांच कमेटी के सामने कही। रविवार को कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम सहित जिला शिक्षा अधिकारी और महिला सशक्तीकरण अधिकारी मामले की जांच करने पहुंचे थे। जांच समिति ने छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को भी दोषी ठहराया और 15 पन्नों की जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी।
शनिवार को शासकीय उत्कृष्ट बाल विनय मंदिर स्कूल की ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा ने आत्महत्या की कोशिश की थी। वह फांसी के फंदे पर झूल ही रही थी कि पिता ने देख लिया। पिता गुस्से में बेटी को लेकर स्कूल पहुंचे और शिक्षकों से बात करना चाही। शिक्षकों ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। बेटी ने बताया था कि कक्षा के तीन छात्र उसका मजाक उड़ाते है। पिताजी चप्पल नहीं पहनते तो गरीबी का उपहास उड़ाते हैं।
पिता बोले-मैं नहीं चाहता लड़कों पर कार्रवाई
पीड़ित छात्रा के पिता बोले हमारी लड़की अनहोनी से बच गई, इससे ज्यादा हमारे लिए कोई बड़ी बात नहीं है। लड़कों पर कोई कार्रवाई नहीं चाहते, क्योंकि इससे उनका भी भविष्य खराब हो सकता है। मेरे बच्चों पर आंच आयी तो मैं शहर से दूर चला जाऊंगा।
छात्र बोला- ऐसा कदम उठा लेगी सोचा नहीं था
जांच कमेटी ने तीनों छात्रों को बुलाया था, लेकिन दो नहीं पहुंचे। एक छात्र ने स्वीकार किया कि वे लड़की को चिढ़ाते थे। उसके पिताजी चप्पल नहीं पहनते थे तो उस पर कुछ कमेंट किए थे, लेकिन हमारा मकसद उसका दिल दुखाना नहीं था। वह इतना बड़ा कदम उठा लेगी इसका अंदाजा नहीं था।
टीचर की गलती है कार्रवाई करेंगे
जिला शिक्षा अधिकारी किशोर शिंदे के मुताबिक, घटनाक्रम में टीचर की बहुत गलती है। छात्रा ने टीचर को इस तरह की बातें बताई थीं तो उन्हें तुरंत कार्रवाई करना चाहिए थी। प्राचार्य को इस बात की जानकारी देना थी। उनकी लापरवाही से लड़की के साथ अनहोनी हो जाती तो जिम्मेदार कौन होता। छात्रों पर भी कार्रवाई प्रस्तावित की है।