भोपाल। अपनी व अपने परिवार की संपत्ति की डीटेल्स देने के मामले में आईएएस आईपीएस अफसरों ने फिर से 6 माह का वक्त ले लिया। इससे पहले भी संपत्ति सार्वजनिक करने के मामले में अफसर किनारा करते रहे हैं। सवाल यह है कि यदि कमाई काली नहीं है तो डीटेल्स देने में तकलीफ क्या है। कहीं ऐसा तो नहीं कि इन 6 महीनों में काली कमाई को खुर्दबुर्द किया जाएगा।
पिछले दिनों आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों ने चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए पारदर्शिता लागू करने की मंशा पर कई सवाल खड़े किए थे। इसके चलते पिछले माह मंत्रालय में आयोजित की गई वर्कशॉप में अधिकारियों ने पूरे परिवार की संपत्ति को सार्वजनिक करने की केंद्र सरकार की बाध्यता को कानूनी रूप से गलत ठहराते हुए सबूत दिए थे। इसके मद्देनजर केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) ने अंतिम तिथि 15 अक्टूबर से बढ़ाकर 15 अप्रैल 2016 कर दी है।
इससे अधिकारियों को यह उम्मीद भी बंधी है कि मोदी सरकार अधिकारियों को अपने पूरे परिवार के नाम पर दर्ज संपत्ति का ब्यौरा देने के फॉर्मेट में भी कुछ और संशोधन भी कर सकती है। नया आदेश अंतिम तिथि के मात्र तीन दिन पहले ही जारी किया गया है। अभा सेवा के अधिकारियों को लोकपाल-लोकायुक्त कानून 2013 के तहत अपनी संपत्ति के साथ-साथ पत्नी और बच्चों की चल-अचल संपत्ति की जानकारी देना है। हालांकि अधिकारी अभी तक प्रॉपर्टी रिटर्न में अपनी अचल संपत्तियों की जानकारी ही सरकार को देते रहे हैं। संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए पहले यह तिथि सितंबर 2014 तय की गई थी, फिर इसे बढ़ाकर दिसंबर 2014, 30 अप्रैल 2015 और फिर 15 अक्टूबर 2015 किया गया।
फिर भी खुश नहीं अफसर
कई अधिकारियों का मानना है कि संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करना व्यावहारिक रूप से ठीक नहीं है। हालांकि मप्र आईएएस ऑफिसर्स एसो. के पदाधिकारियों का मानना है कि नौकरी करने वाले तक तो ठीक है, लेकिन उसकी पत्नी/पति की संपत्ति की जानकारी लोकपाल के सामने नहीं रखा जाना चाहिए।
अफसरों ने ये राहत मांगी थी
अफसरों ने उन परिजनों की संपत्ति को उजागर करने में छूट मांगी थी जो अन्य किसी सेवा में हैं या व्यवसाय करते हैं। अफसरों का कहना था कि उनसे केवल आश्रित परिजनों की संपत्ति का ब्यौरा लिया जाए।