ज्योतिर्विद पंडित सोमेश्वर जोशी | इस बार 30 अक्टूबर 2015, शुक्रवार को सुहागिनों का यह पवित्र व्रत करवाचौथ का व्रत है। इस दिन चन्द्रोदय 8 बजकर 38 मिनट पर है। सुहागिन या पतिव्रता स्त्रियों के लिए करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है।
इस बार शु्क्रवार और रोहिणी नक्षत्र में करवाचौथ व्रत पड़ रहा है। इस विशेष संयोग में व्रत रखने वाली सुहागिनों का सुहाग तो अटल रहेगा ही, पति का आकर्षण भी उनके प्रति बढ़ जायेगा। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म नक्षत्र रोहिणी भी शाम 4:57 तक है। रोहिणी नक्षत्र होने के कारण पति पत्नि के संबंधों में जहां मिठास घुलेगी वहीं एक दूसरे के प्रति लगाव भी धीरे धीरे बढ़ता जायेगा।
पंडित सोमेश्वर जोशी ने बताया कि करवा चौथ में लगने वाली आवश्यक पूजन सामग्री को एकत्र करें। व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
'मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'
दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा मांडें। इसे 'वर' कहते हैं। चित्रित करने की कला को 'करवा धरना' कहा जाता है।
8 पूरियों की अठावरी बनाएं। हलुआ बनाएं। पक्के पकवान बनाएं। पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं। चौक बनाकर आसन को उस पर रखें। गौरी को चुनरी ओढ़ाएं। बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें। जल से भरा हुआ लोटा रखें। वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें।
करवा में गेहूं और ढक्कन में शकर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवे पर स्वस्तिक बनाएं। गौरी-गणेश और चित्रित करवे की परंपरानुसार पूजा करें।
'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'
करवे पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवे पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। 13 दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें।
- विशेष संयोग में आया करवाचौथ व्रत
- 30 अक्टूबर दिन शुक्रवार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि सुबह 8:25 तक रहेगी।
- सुबह 8:25 के बाद चतुर्थी तिथि लगेगी जो सुबह 5:26 मिनट तक रहेगी।
- रोहिणी नक्षत्र शाम 4:57 मिनट तक है।
- चंद्रमा वृषभ राशि में सुबह 4:21 तक रहेगा।
- 30 अक्टूबर को ही चतुर्थी तिथि का क्षय भी हो रहा है।
- करवाचौथ पूजन का समय शाम 6:02 से शाम 07:18 तक है।