भोपाल। मप्र में मरते किसानों का ढीकरा केंद्र पर फोड़ने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को एक पत्र लिखने की औपचारिकता की है। पत्र में उन्होंने 1900 करोड़ रुपए की मांग की है। अजीब बात यह है कि तीन दर्जन के आसपास किसानों की आत्महत्या और बैंकों के 5000 करोड़ के कर्ज वसूली वाले नोटिस बंट जाने के बाद पत्र लिखा जा रहा है। कब राहत आएगी और कब बंटेगी, भगवान ही जाने।
चौहान ने बताया कि क्षति का आकलन करने तथा प्रभावित कृषकों को राहत पहुंचाने के लिए व्यापक स्तर पर सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। यह सर्वेक्षण शीघ्र पूरा हो जाएगा। क्षति का वास्तविक आकलन तैयार कर केन्द्र सरकार से अतिरिक्त सहायता राशि की मांग करने विस्तृत मेमोरंडम शीघ्र भेजा जाएगा।
चौहान ने अपने पत्र में कहा कि प्रदेश में विगत 3-4 वर्षों से विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जैसे अतिवृष्टि, बाढ़ ओला पाला आदि का व्यापक प्रभाव रहा है। आपदाओं से जानमाल की क्षति के साथ-साथ प्रदेश के कृषकों को फसलों की क्षति का व्यापक सामना करना पड़ा है। मानसून सत्र 2015 में वर्षा का प्रारंभ समय पर हुआ, जिससे खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार की आशा थी, किन्तु प्रदेश के कुछ भाग में लंबे-लंबे अंतराल से वर्षा होने एवं कुछ भाग में अल्प वर्षा अधिकांश जिलों में सूखा की स्थिति निर्मित हो गई है।
उन्होंने कहा कि अब तक प्रारंभिक आकलन के अनुसार अल्प वर्षा के आधार पर 369 तहसीलों में से 114 तहसीलें सूखाग्रस्त घोषित की जा चुकी है। इनमें वृद्धि होना संभावित है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में केन्द्रीय मंत्रियों को लिखा कि प्रदेश के कुछ भाग में एक छोटी अवधि के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा होने के कारण भी फसलें प्रभावित हुई हैं। प्रदेश में अनियमित वर्षा होने से खरीफ फसलों में कीट-इल्ली, पीला मोजैक रोग आदि का व्यापक रूप से असर पड़ा है। प्राकृतिक प्रकोप ने किसानों की आशाओं पर पुन: पानी फेर दिया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है।
सूखे की स्थिति एवं कीट-इल्ली, पीला मोजैक रोग आदि के प्रारंभिक आकलन अनुसार प्रदेश के लगभग 23000 गांवों के 27.93 लाख किसानों के लगभग 2600 लाख हेक्टेयर रकबे में खरीफ फसलों की व्यापक क्षति हुई है।
