भोपाल। वर्तमान समय अँग्रेजी को कोसने का नहीं हिन्दी को बढ़ाने का है। लिपि का विवाद पहले से ही भाषा में होता आया है। कम्प्यूटर वर्तमान में इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। प्रसिद्ध कवि श्री अशोक चक्रधर ने यह बात 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के तीसरे दिन आज 'संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी' के समानान्तर-सत्र की अध्यक्षता करते हुए कही।
श्री चक्रधर ने कहा कि ज्ञान की खिड़कियाँ हमेशा खुली रहती हैं। कम्प्यूटर माध्यम से हिन्दी को प्रोत्साहित करने के लिये हिन्दी में जरूरी सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है।
सत्र में कम्प्यूटर विशेषज्ञ डॉ. सुजय लेले ने कहा कि भाषा को डिजिटलाइज करने में क्रमबद्धता का ध्यान रखना होगा। ग्रामीण युवाओं को कम्प्यूटर का ज्ञान करवाकर गाँव के विकास के लिए मिलने वाली राशि का सही उपयोग किया जा सकता है।
भारत कोश पोर्टल के निर्माता श्री आदित्य चौधरी ने कहा कि अब शीघ्र ही उनके पोर्टल पर भारत के सभी 6 लाख 38 हजार 596 गाँव का पृथक-पृथक वेब पेज बनाया जायेगा। पेज में संबंधित गाँव की आवश्यक जानकारी के साथ वहाँ की संस्कृति के बारे में भी जानकारी उपलब्ध होगी।
कम्प्यूटर विशेषज्ञ श्री बालेन्दु शर्मा दधीच ने बतलाया कि वर्तमान में कम्प्यूटर के साथ-साथ गेजेट का भी काफी महत्व है जिसके लिए उपयोगकर्ता नि:शुल्क प्राप्त होने वाले लिनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग कर सकते हैं। विशेषज्ञ श्री विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय भाषाओं के लिए सी-डेक द्वारा तैयार किया गया 'स्पर्श' की-बोर्ड काफी उपयोगी है। उन्होंने कम्प्यूटर में शुद्ध हिन्दी टंकण के लिए अधिक प्रभावी स्पेल चेकर एवं ग्रामर चेकर की जरूरत बतलायी। उन्होंने कहा कि ई-बुक पठनीय के साथ श्रवणीय भी हो।
बैंगलुरू से आई सुश्री शैली मोदी ने बतलाया कि आई.आई.टी. एवं आई.आई.एम. के उनके साथियों ने मिलकर 'प्रतिलिपि डॉट कॉम पोर्टल' बनाया है। पोर्टल पर पिछले 9 माह में 3 लाख से ज्यादा पाठक कहानियों का पाठ कर चुके हैं।
मॉरिशस स्थित विश्व हिन्दी सचिवालय के सचिव श्री गुलशन सुखलाल ने कहा कि उनकी चिन्ता हाईटेक विश्व हिन्दी की है। इसके लिए सचिवालय ने मॉरिशस के साथ अन्य पड़ोसी देशों में अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि हिन्दी में तैयार किये गये सॉफ्टवेयर के लिए मॉरिशस में अच्छा बाजार है।
सी-डेक के श्री एम.डी. कुलकर्णी ने जानकारी दी कि सी-डेक ने एन.आई.सी. के साथ मिलकर एक सर्च इंजन तैयार किया है जिसे अधिक शक्तिशाली बनाने के प्रयास जारी है।
कार्यक्रम में श्री परमानंद पांचाल की पत्रिका 'नागरी संगम' तथा डॉ. महेश्वर द्वारा हिन्दी में तैयार किये गये 'शोध समवाय पोर्टल' का विमोचन अतिथियों ने किया।
सत्र में उपस्थित विशेषज्ञों एवं श्रोताओं ने सुझाव दिये कि हिन्दी को केवल देवनागरी लिपि में ही लिखा जाये, रोमन अथवा अन्य लिपि में नहीं। हिन्दी दक्षता प्रमाण-पत्र के लिए ऑनलाइन परीक्षा की व्यवस्था की जाये। हिन्दी के शब्दों का मानकीकरण अवश्य हो। कोर-बैंकिग में अँग्रेजी के साथ हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की व्यवस्था की जाये।
सत्र में सांसद श्रीमती रीति पाठक, विघायक श्रीमती अर्चना चिटनिस, सत्र संयोजक डॉ. रचना विमल के अलावा देश -विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालय एवं संस्थाओं केहिन्दी विशेषज्ञ, अधिकारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।