लोकायुक्त के खिलाफ स्टे ले आए सेडमैप तिवारी

भोपाल। आय से अधिक संपत्ति के मामले में लोकायुक्त की छापामार कार्रवाई के बाद अब जांच की जद में आ गए राज्य उद्यमिता विकास केन्द्र (सेडमैप) के पूर्व कार्यकारी निदेशक जितेन्द्र तिवारी हाईकोर्ट से लोकायुक्त के खिलाफ स्टे ले आए हैं।

उन्होंने याचिका में कहा है कि वे लोकसेवक की श्रेणी में नहीं आते और उनकी संस्था भी लोकायुक्त अधिनियम के दायरे में नहीं है, इसलिए छापे की कार्रवाई भी नहीं हो सकती जबकि लोकायुक्त पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि अधिनियम के हिसाब से वे सभी व्यक्ति लोकसेवक की श्रेणी में आते हैं, जहां जनता का पैसा लगा होता है।

सेडमैप सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण देने वाली संस्था है। लोकायुक्त पुलिस ने आय से अधिक संपत्ति की शिकायतों के मद्देनजर 15 जुलाई को भोपाल में अरेरा कॉलोनी स्थित तिवारी के घर छापा मारा था। इसमें प्रथम दृष्टया दो-ढाई करोड़ रुपए की संपत्ति होने की बात सामने आई थी। तिवारी का कहना है कि सेडमैप एनजीओ है, ये लोकायुक्त अधिनियम के दायरे में नहीं आता। अशासकीय व्यक्ति होने के नाते मेरे घर छापे की कार्रवाई भी लोकायुक्त पुलिस नहीं कर सकती है क्योंकि मैं लोकसेवक नहीं हूं।

याचिका के आधार पर हाईकोर्ट, जबलपुर ने लोक सेवक को लेकर स्थिति साफ होने तक लोकायुक्त पुलिस की जांच पर रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि सितंबर के दूसरे पखवाड़े में हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। इसमें लोकायुक्त पुलिस की ओर से लोकसेवक को लेकर पक्ष रखा जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि हमारे हिसाब से तिवारी लोकसेवक की श्रेणी में आते हैं, क्योंकि सेडमैप को बिना टेंडर सरकारी योजनाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम करने राशि दी जाती है। इसके बोर्ड ऑफ गवर्नर में शासकीय अधिकारी शामिल हैं।

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