भोपालियों को 4 रुपए प्रतिलीटर की चूना लगा रही है सांची

भोपाल। सहकारिता के नाम पर भोपाल दुग्ध संघ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम कर रही है। वो प्रति लीटर 4 रुपए मुनाफा कमा रही है, जबकि सहकारिता का अर्थ ही होता है ना लाभ ना हानि।

इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन दुग्ध संघ फुल क्रीम मिल्क (सांची गोल्ड) 44 रुपए प्रति लीटर के रेट से बेच रहे हैं। भोपाल में इसी क्वालिटी के दूध के लिए उपभोक्ताओं को 46 चुकाने पड़ रहा हैं। इस तरह पहली नजर में दिखाई देता है कि भोपाल के उपभोक्ताओं को 2 रुपए प्रति लीटर का नुक्सान हो रहा है।

परंतु अब जरा गौर से पढ़िए
भोपाल दुग्ध संघ किसानों से यदि 6 फीसदी फैट वाला एक किलो दूध खरीदता है तो एक किलो के 30 रुपए की दर से किसानों को भुगतान किया जाता है। इस एक किलो पर प्रशासनिक अधिकारियों की मोटी तनख्वाहें एवं ट्रांसपोर्टेशन समेत तमाम खर्च 10 रुपए होते हैं तो दूध के दाम 40 रुपए लीटर तक होते हैं। इसमें पार्लर या बूथ संचालक को दिया जाने वाला कमीशन 2 रुपए जोड़ दें तो एक लीटर दूध के दाम 42 रुपए होते हैं। जबकि वो तो उपभोक्ताओं को 46 रुपए प्रतिलीटर दे रहा है। इस प्रकार भोपाल दुग्ध संघ भोपालियों को 4 रुपए प्रति लीटर का चूना लगा रहा है जो कि सहकारिता के कानूनों के खिलाफ है और जनता के साथ जालसाजी है।

किसानों के दाम घटाए, बाजारमूल्य यथावत
जीडीएस ने एफसीएम दूध की बिक्री के दाम घटाने के अलावा किसानों से दूध खरीदी के दाम भी कम किए हैं। पहले जीडीएस किसानों से 500 रुपए प्रति किलो फैट की दर से दूध खरीद रहा था। दूध खरीदी दाम 30 रुपए कम कर 470 रुपए प्रति किलो फैट कर दिए हैं। संघ के सीईओ एसके सिंह गौर का कहना है कि दूध की आवक बढ़ी है। इस वजह से एफसीएम दूध के दाम दो रुपए प्रति लीटर कम किए गए हैं।

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