जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में रीवा नगर निगम में शैलेन्द्र शुक्ला की नियुक्ति को कठघरे में रखने वाली याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। इसके लिए राज्य शासन को 4 सप्ताह का समय दिया गया है।
न्यायमूर्ति केके त्रिवेदी की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता रीवा निवासी भूपेन्द्र सिंह का पक्ष अधिवक्ता रोहित राकेश जैन ने रखा।
निगामायुक्त की प्रारंभिक नियुक्ति अवैध
उन्होंने दलील दी कि रीवा के निगमायुक्त शैलेन्द्र शुक्ला की सहायक यंत्री के पद पर प्रारंभिक नियुक्ति नगर सुधार न्यास रीवा में नियमों के विरुद्घ पद न होते हुए भी की गई थी। इसके पीछे राजनीतिक दबाव मुख्य वजह था।
सेवा समाप्त करने पर भी पहुंचाया गया लाभ
याचिकाकर्ता के मुताबिक शैलेन्द्र शुक्ला की नियुक्ति नियमों के खिलाफ पाए जाने पर 8 जनवरी 1991 को समाप्त कर दी गई। इसके बावजूद रीवा के तत्कालीन निगमायुक्त ने राजनीतिक दबाव में आकर निगम की स्थायी समिति के संकल्प के बिना संविलियन का आदेश पारित कर दिया। यही नहीं आगे चलकर जब राज्य शासन ने संविलियन आदेश को अनुचित पाकर निरस्त किया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शासकीय आदेश को निरस्त करके शुक्ला की सेवाएं यथावत रखने की व्यवस्था दे दी।