10 किलो पत्थर से दबी थी नवजात, ऊपर से राख का ढेर

मंदसौर। जन्म के साथ ही कन्या की हत्या कर देने के लिए कुछ अधर्मी उसे राख के ढेर में दबा गए। सीने पर 10 किलो वजनी पत्थर भी रख दिया ताकि जिंदा ना बच जाए परंतु श्रीकृषण को कुछ और ही मंजूर था। वो जिंदा बच गई।

मल्हारगढ़ तहसील के तलाव पिपलिया में शुक्रवार को एक नवजात बच्ची मिली। दोपहर दो बजे गांव की रेशमा पति गोविंद दोरवाड़ी मार्ग से जा रही थी तभी बच्चे के रोने की आवाज सुन वह घबरा गई। महिला ने गांव के लोगों को जानकारी दी। लोग मौके पर पहुंचे तो देखा पत्थरों के बीच राख के ढेर में दबी एक नवजात रो रही थी। उसके सीने पर पत्थर भी था। ग्रामीण बच्ची को लेकर गांव पहुंचे। यहां आशा कार्यकर्ता ने उसे नहलाया। इस बीच पुलिस व एम्बुलेंस 108 को सूचना दे दी। एंबुलेंस नहीं आई तो ग्रामीण उसे जीप से नजदीकी गांव बूढ़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। यहां से जिला अस्पताल ले जा रहे थे तभी रास्ते में ढाबला के पास एंबुलेंस मिली। बच्ची को एंबुलेंस में शिफ्ट कर जिला अस्पताल ले गए। यहां डॉक्टरों की टीम ने तत्काल इलाज शुरू कर दिया।

जिला अस्पताल में बच्ची का इलाज कर रहे डॉ. प्रकाश कारपेंटर ने बताया बेबी प्री-मैच्योर है। उसका जन्म 4 से 5 घंटे पहले ही हुआ है। बच्ची के शरीर पर हल्के चोट के निशान हैं जो रगड़ से लगे होंगे। प्राथमिक इलाज के बाद बच्ची को एसएनसीयू में भर्ती किया है। डॉ. कारपेंटर के अनुसार बच्ची की हालत फिलहाल ठीक है।
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