नयी दिल्ली। विवादों में रहे आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को बर्खास्त कर दिया गया है। संजीव भट्ट वही आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने 2002 में गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाया था।
भट्ट सर्विस से गलत ढंग से गैर हाजिर रहने को लेकर 2011 से सस्पेंड थे। सरकार ने बर्खास्तगी की वजह अनुशासनहीनता बताया है। हाल ही में गुजरात सरकार ने एक वीडियो को लेकर भी भट्ट को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस वीडियो में भट्ट एक महिला के साथ दिखते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा था कि वीडियो में दिखने वाले शख्स वो नहीं हैं।
भट्ट पर क्या हैं आरोप
भट्ट गुजरात के 1988 बैच के आईपीएस हैं। सरकार ने कहा कि उनकी पोस्टिंग जूनागढ़ में थी, लेकिन काफी वक्त बीतने के बावजूद उन्होंने वहां ज्वाइन नहीं किया। गुजरात के जूनागढ़ में चौकी नाम की जगह पर संजीव डीआईजी के पद पर तैनात थे। इसके बावजूद वह अहमदाबाद में रहे और वहां सरकारी गाड़ी और पुलिस कमांडो का इस्तेमाल करते रहे।
मोदी के विरोधी रहे हैं भट्ट
भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2002 में गोधरा में ट्रेन जलाए जाने के बाद टॉप पुलिस अधिकारियों से कहा था कि वे हिंदुओं को 'अपना गुस्सा निकाल लेने दें।' भट्ट ने दावा किया था कि वह 27 फरवरी 2002 को गांधीनगर में मोदी के घर पर हुई एक मीटिंग में शामिल हुए थे।
भट्ट ने दी सफाई
भट्ट ने कहा, 'हां, यह सही है कि मुझे बर्खास्त कर दिया गया है। इसकी पूरी उम्मीद थी। वे पूरी तरह से एकतरफा जांच कर रहे थे। मुझे उनसे (गृह मंत्रालय) बर्खास्तगी का लेटर मिला।' भट्ट ने कहा कि उन्हें 'दिखावटी जांच' के आधार पर बर्खास्त किया गया। यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देंगे, भट्ट ने कहा कि वह खुद को सरकार पर थोपना नहीं चाहते।
