ग्वालियर। शहर से अपहृत एक नाबालिग लड़की के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस शील नागू ने डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आपको 2 साल तक मौका दिया लेकिन आप बच्ची को पेश नहीं कर सके हैं। आप असफल साबित हुए हैं इसलिए सोमवार तक शपथ पत्र देकर कहें कि मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। यदि शपथ पत्र नहीं पेश किया जाता है तो हाईकोर्ट कार्रवाई पर विचार करेगा।
वर्ष 2013 में जनकगंज थाने में एक नाबालिग लड़की के अपहरण का मामला दर्ज किया गया था। इसमें आरोपी मोनू कोली धौलपुर राजस्थान का रहने वाला था। इस मामले में अभिभाषक अवधेश सिंह भदौरिया के माध्यम से एक याचिका मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में दायर की गई थी। जिस पर करीब 2 साल से सुनवाई चल रही है। इसके बाद हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में राजस्थान के डीजीपी और मध्यप्रदेश के डीजीपी को शपत्र पत्र पेश करने के निर्देश दिए थे।
इस पर बुधवार को सुनवाई के दौरान राजस्थान के डीजीपी की तरफ से हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश करते हुए कहा गया कि हम प्रयास कर रहे हैं लेकिन चूंकि नाबालिग लड़की का अपहरण ग्वालियर से हुआ है इसलिए इसकी जिम्मेदारी मप्र पुलिस की है। जबकि मप्र डीजीपी की तरफ से कोई शपथ पत्र नहीं पेश किया गया। इस पर हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपको 2 साल तक मौका दिया गया लेकिन आप अब तक बच्ची को खोजकर पेश नहीं कर सके हैं। आप असफल साबित हुए हैं। इसलिए डीजीपी सोमवार तक शपथ पत्र पेश करके कहें कि मामले की सीबीआई जांच कराई जाए। यदि शपथ पत्र पेश नहीं किया जाता है तो हाईकोर्ट कार्रवाई पर विचार करेगा।
