भोपाल। व्यापमं घोटाले से सीबीआई के पसीने निकाल दिए हैं। यह पहली बार हो रहा है जब सीबीआई कामचोरी करती नजर आ रही है। सीबीआई चाहती थी कि जिन मामलों की जांच एसआईटी कर चुकी है, उन्हें छोड़कर शेष विवादित मामलों की जांच वो कर लें, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सीबीआई को व्यापमं से जुड़े सभी मामलों की जांच करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एचएल दत्तू, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस अमिताव राय की पीठ ने लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिये जांच एजेंसी को तीन हफ्तों का समय देने का सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार का अनुरोध स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘अन्यथा, लोक अभियोजकों की नियुक्ति के मामले में हम न्यायिक आदेश देंगे।’’ पीठ ने कहा कि भले ही एसआईटी और एसटीएफ 78 मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर चुके हों लेकिन व्यापमं के सारे मामलों की जांच सीबीआई को करनी होगी। इन मामलों की संख्या अब 185 से बढ़कर 212 हो गई है।
इसी बीच सोमवार को फिर से सीबीआई में जांचकर्मियों की कमी का मसला सामने आया। यह मसला सुनवाई की पिछली तारीख पर भी उठा था लेकिन कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि पिछले 10 दिनों में इस मामले में कुछ भी नहीं हुआ है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जांच ब्यूरो में जांच अधिकारियों के रिक्त पदों पर नियुक्तियों के प्रस्ताव के बारे में कोर्ट को सूचित करने के लिये उन्हें तीन सप्ताह का वक्त दिया गया है। उनका कहना था कि जांच एजेंसी को जांच अधिकारियों के लिये दो साल का प्रशिक्षण अनिवार्य है। रोहतगी ने पीठ से कहा, ‘‘आपको प्रशिक्षित जांचकर्ता चाहिए। उन्हें प्रशिक्षित करने में दो साल लगते हैं और हमारे पास जांच अधिकारियों का पूल नहीं है।’’ इस पर कोर्ट ने आगे सुनवाई के लिये मामले को 11 सितंबर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।