मिनीबसों से भी बदतर हो गई हैं भोपाल की लो-फ्लोर बसें

भोपाल। शहर में दौड़ रहीं 222 लो-फ्लोर बसें, मिनीबसों से भी बदतर हो गईं हैं। न इनकी रफ्तार पर लगाम है न इन्हें बस स्टॉपेज का ख्याल। जहां मर्जी हो वहीं रुक जाती हैं। ड्राइवर-कंडक्टर यात्रियों से अभद्रता करते हैं। उनके पास न यूनिफाॅर्म होती है न नेमप्लेट। चौराहें पर लालबत्ती के नियमों का उल्लंघन करतीं बसों को तो कोई भी देख सकता है। ऐसा लगता है जैसे पूरे यातायात सिस्टम को मुंह चिढ़ातीं हैं ये बसें।

बीसीएलएल के सीईओ चंद्रमौलि शुक्ला कहते हैं कि कुछ घटनाओं के आधार पर पूरे सिस्टम पर सवाल उठाना ठीक नहीं है।

भोपाल में दो कंपनियों के पास लो फ्लोर बसों के संचालन का जिम्मा है। इसमें प्रसन्ना पर्पल मोबिलिटी एंड साल्यूशंस प्रा. लि. 150 बसें चला रही है। इसके अलावा कैपिटल रोडवेज एंड फायनेंस 35 बसें संचालित कर रहा है। 40 बसें बीसीएलएल चलाती है। 
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