भोपाल। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव चाहते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का सरकारी स्कूलों के संदर्भ में दिया गया फैसला मप्र में भी लागू किया जाना चाहिए। सरकारी कर्मचारी, अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों के बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला क्रान्तिकारी है। आज देश में दो अलग-अलग शिक्षा व्यवस्थाएं चल रही हैं। एक अमीरों के लिए, दूसरी गरीबों के लिए।
अमीरों के लिए उपलब्ध इस शिक्षा व्यवस्था में न्यायालय द्वारा चिन्हित वर्ग जिसमें नेता, मंत्री, अधिकारी, कर्मचारी एवं नव धनाढ्य वर्ग शामिल है, जो अपने बच्चों को महंगी फीस वाले सर्व-सुविधा युक्त अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाता है। इन स्कूलों की फीस इतनी महंगी है कि मध्यम-वर्गीय परिवार के बच्चे और उनके माता-पिता उस तरफ देख भी नहीं सकते। नेता, अफसर और जजों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे तो इन स्कूलों में हर स्तर पर सुधार अपने आप होगा। उन्होंने कहा कि यही कायदा सरकारी अस्पतालों पर भी लागू होना चाहिए। जब प्रभावशाली वर्ग के लोग अपने बच्चों की पढ़ाई सरकारी स्कूलों और इलाज सरकारी अस्पतालों में कराएंगे तो सुधार गजब का ही होगा। देखना यह है कि देश भर की सरकारें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को किस रूप में लेती हैं। फैसले को लागू करती भी हैं या नहीं।