कलेक्टर में घूंसा जड़ दिया इस सिपाही ने

भोपाल। सामान्यत: कलेक्टर को कानून से बड़ा माना जाता है। ऐसा जनता ही नहीं, कलेक्टर खुद भी मानते हैं परंतु पिछले दिनों उज्जैन में एक सिपाही ने बता दिया कि डॉक्टर हो या कलेक्टर नियम तोड़ने का अधिकार किसी को नहीं है। उसने नियम तोड़ने वाले अपर कलेक्टर को ऐसा सबक सिखाया कि पूरे मप्र के अपर कलेक्टर सहम गए।

कहानी उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर की है जो साल में सिर्फ एक ही बार नागपंचमी के दिन खुलता है। जिससे यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। बुधवार रात को भी को भी मंदिर में करीब 3 लाख लोग दर्शन के लिए पहुंचे थे। ऐसे में वहां पर भारी पुलिस बल तैनात था। जो दर्शन करने आए लोगों की भीड़ को काबू कर रहा था।

इसी बीच रात करीब 10 बजे जिला अपर कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी चार लोगों के साथ दर्शन के लिए पहुंचे लेकिन लाइन में लगने की जगह वो गेट नंबर-4 ' निकासी द्वार' से अंदर प्रवेश करने लगे, जिस पर उस गेट पर टीआई मनोज दुबे के साथ तैनात 6 आरक्षकों में से एक आरक्षक भंवरलाल ने उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया। आरक्षक ने विनम्रता पूर्वक बताया कि यह निकासी द्वार है यहां से प्रवेश वर्जित है।

लेकिन अपर कलेक्टर भड़क गए। उनके अंदर एक अहंकार था। मैं कलेक्टर हूं और मुझे नियम बता रहे हो। मौके पर मौजूद टीआई मनोज दुबे ने बात संभाली। अधिकारी के सम्मान में कांस्टेबल भंवरलाल ने बकायदा माफी मांगते हुए नरेंद्र सूर्यवंशी को अंदर दर्शन के लिए भेज दिया लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई।

इसके बाद नरेंद्र सूर्यवंशी एडीएम अवधेश शर्मा को लेकर वापस गेट पर पहुंचे और उन्होंने कांस्टेबल पर चिल्लाना शुरू कर दिया। टीआई ने फिर हाथ जोड़कर माफी मांगी लेकिन अपर कलेक्टर कहां मानने वाले थे। उन्होंने सिपाही की वर्दी पकड़ी और चांटा जड़ दिया। बस फिर क्या था, वर्दी का अपमान सिपाही ने भी सहन नहीं किया। तुरंत कलेक्टर में घूंसा जड़ दिया। दोनों के बीच जमकर हाथापाई हुई।

अब प्रदेश भर के राप्रसे के अधिकारी सहमे हुए हैं। वो एक सिपाही के खिलाफ कार्रवाई के लिए आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उज्जैन के 40 अधिकारियों ने एक साथ तबादले की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी पुलिस के साथ काम नहीं कर सकते। हालांकि पुलिस विभाग के अधिकारी सिपाही के साथ हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यदि कलेक्टर वर्दी का अपमान नहीं करते तो यह घटना नहीं घटती, परंतु अधिकारी दवाब बनाकर सिपाही को सस्पेंड कराना चाहते हैं। 

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