मुंबई। पेंशन कारोबार में 90 प्रतिशत की गिरावट से चितिंत जीवन बीमा उद्योग ने क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराने का आह्वान किया है। एनपीएस (न्यू पेंशन सिस्टम) के लिए विशेष टैक्स छूट तथा ग्राहकों को रिटर्न के बारे में गारंटी की पेशकश करने की अनिवार्यता से जुड़े प्रावधान के कारण जीवन बीमा कंपनियों के बीमा कारोबार में उल्लेखनीय कमी आयी है।
जीवन बीमा कंपनियों का पेंशन कारोबार 2014-15 में महज 2,000 करोड़ रुपये पर आ गया जो 2009-10 में 20,000 करोड़ रुपये था। वर्ष 2009-10 में उपबंध पेश होने के बाद गिरावट स्पष्ट रूप से दिखने लगी है। इस उपबंध में जीवन बीमा कंपनियों के लिये यह अनिवार्य है कि वे पेंशन उत्पादों पर गारंटीशुदा रिटर्न की पेशकश करे। एनपीएस में 50,000 रुपए तक के निवेश पर कर छूट से भी बीमा कंपनियों की चुनौती बढी है। एनपीएस पर यह छूट व्यक्तिगत इनकम टैक्स दाताओं को 1.5 लाख के निवेश पर लागू कर-छूट के अतिरिक्त है।
जीवन बीमा परिषद के महासचिव वी मणिकैम ने कहा, 'नियामक ने बीमा कंपनियों से गारंटीशुदा पेंशन योजना की पेशकश करने को कहा है। बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए इसमें उन्हें कठिनाई है। दूसरे एनपीएस के मामले में 50,000 रुपये का विशेष कर छूट से जीवन बीमा कंपनियों के हाथ से पेंशन कारोबार छिटक रहा है।'
इरडा सदस्य (लाइफ) निलेश साठे ने कहा, 'सरकार ने जीवन बीमा कंपनियों को उनके पेंशन उत्पादों को एनपीएस के अनुरूप व्यवहार करने की अनुमति नहीं दी है। कोई व्यक्ति 1.5 लाख रुपये की कर छूट के अलावा एनपीएस में 50,000 रुपये निवेश कर टैक्स में अतिरिक्त छूट ले सकता है। इसके कारण लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों का पेंशन कारोबार बढ़ नहीं रहा है।'
सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय जीवन बीमा निगम (एनआईसी) ने कहा कि है कि एनपीएस को मिली अतिरिक्त छूट से पेंशन उत्पादों की बिक्री पर दबाव पड़ सकता है। एलआईसी के प्रबंध निदेशक विजय कुमार शर्मा ने कहा, 'अबतक हम इससे प्रभावित नहीं हुए हैं लेकिन आने वाले समय पर हमारी पेंशन बिक्री पर इसका दबाव पड़ सकता है।'