क्या हमें भी अपनी बात रखने के लिए धमाका करना होगा ?

माननीय मुख्यमंत्री महोदय 
भोपाल मध्यप्रदेश
विषय : संविदा कर्मचारियों को कब स्वंत्रता मिलेंगी l

महोदय जी,
यह बात आपसे साझा करते समय मेरे मन में मध्यप्रदेश सरकार के प्रति असीम क्रोध और शर्म भी है, कि आजादी के इतने वर्षो के  पश्चात भी क्या हमारे देश में आजादी जिन्दा है ? क्या आपकी सरकार में (वास्तव में) किसी भी आम आदमी को अपनी बात और पक्ष रखने, सुने जाने और उसकी समस्या सुलझाये जाने की स्वतंत्रता प्राप्त है ? यदि हाँ तो हमारी प्यारी प्रदेश सरकार का ध्यान संविदा कर्मचारियों की समस्या पर क्यों नहीं जाता, जो की इतनी वास्तविक और प्रासंगिक है ? आप ही बताये की कैसे इस महंगाई में हम संविदा कर्मचारि अपना घर चलाये ? जहाँ एक ओर हमारे द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों को स्वयं की तन्खाव्ह कम लगती है और वो उसे दुगुना करना चाहते है, वही दूसरी ओर एक संविदा कर्मचारि चंद रुपयों में अपनी सेवाये देने को मजबूर हैं।

क्या हमे भी अपनी बहरी हो चुकी सरकार को सुनाने के लिए धमाका करना होगा जैसे की अंग्रेजो के शासनकाल के समय महान देशभक्त क्रन्तिकरियों ने किये थे ? मैं इस वक़्त केवल संविदा शाला शिक्षक ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के अन्य संविदा कर्मचारियो के लिए भी बात कर रहा हूँ। कृपया कर हमारी समस्याओं को सुनने का कष्ट करें, अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब ये किसी क्रांति का स्वरुप ले लें।

अंत में आपसे अनुरोध हैं की कौशल विकास, शिक्षा, चिकित्सा, विद्युत् , लोक निर्माण अदि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सन्विदा का अंत करे जिससे की प्रदेश का गुणवत्तापूर्ण विकास हो सके।

कौलश विकास
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